Chandrayaan-3 Landing: चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद से ही देश भर में खुशी का माहौल बना हुआ है. लैंडिंग प्रक्रिया को पूरी होने में लगभग 15 से 20 मिनट का समय लगा. इसरो ने 14 जुलाई को इसे लॉन्च किया था. चंद्रयान 3 को साउथ पोलर रीजन में लैंड कराने के पीछे भी बड़ी वजह है. 


भारत से पहले अमेरिका, रूस और चीन जैसे देश चंद्रमा तक पहुंच चुके हैं. सभी की तैयारी चंद्रमा पर अंतरिक्ष स्टेशन बनाने की है. ऐसे में भारत के लिए चंद्रमा की अहमियत कहीं ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन भारत साउथ पोल रीजन में चंद्रयान क्यों उतार रहा है.


साउथ पोल रीजन में ही क्यों कराई जा रही चंद्रयान की लैंडिंग?


दरअसल, साउथ पोल रीजन की मिट्टी में जमा चीजें लाखों सालों से वैसी ही हैं. इससे मिट्टी में जमी बर्फ के मोलिक्यूल्स की पड़ताल से कई रहस्यों का पता चल सकता है. चांद और पृथ्वी के जन्म का रहस्य भी खुल सकता है. चंद्रमा के निर्माण और उस वक्त के हालात का भी पता चल सकता है. 


चंद्रमा की भूमध्य रेखा के पास की मिट्टी में इतने रहस्य जमा नहीं जितने साउथ पोल में हैं. साउथ पोल रीजन में पानी मिलने की सबसे ज्यादा संभावना है. साथ ही कई तरह के खनिजों का भंडार भी यहां मिल सकता है.


वहीं, चांद का साउथ पोल रीजन बिल्कुल पृथ्वी के साउथ पोल जैसा ही है. जिस तरह पृथ्वी का साउथ पोल अंटार्कटिका में है और सबसे ठंडा इलाका है. ठीक उसी तरह  चांद का दक्षिणी ध्रुव भी सबसे ठंडा इलाका है. 


ये भी पढ़ें: 


Chandrayaan-3: सॉफ्ट लैंडिंग के लिए तैयार चंद्रयान-3, चांद पर उतरने के आखिरी 15 मिनट क्यों हैं भारी?