Chandrayaan 3 Moon Mission: चांद पर आने वाले दो-तीन दिनों में अंधेरा छा जाएगा और उसे सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी. जिसकी वजह से लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान में लगी बैटरी खत्म हो जाएगी और वह पृथ्वी में इसरो से कनेक्ट नहीं कर सकेंगे. ऐसे में चंद्रयान-3 के एक हिस्से में नासा का एक उपकरण संपर्क खत्म हो जाने के बाद भी चांद की ऑर्बिट में घूम रहे सैटेलाइट की मदद के जरिए विक्रम की लोकेशन के बारे में सटीक जानकारी देता रहेगा. 


इस जानकारी की वजह से भविष्य में भेजे जा सकने वाले मिशन के लिए चंद्रयान-3 की लोकेशन डिटेक्ट करने में आसानी होगी और चांद पर उसकी स्थिति का भी सटीक अंदाजा लगाया जा सकेगा. विक्रम लैंडर में लगे इस उपकरण का नाम लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे (एलआरए) है. इस उपकरण को नासा ने बनाया है और इसको चंद्रयान-3 के पेलोड के साथ चंद्रमा पर भेजा गया है. 


एलआरए कैसे काम करेगा?
एलआरए को नासा ने चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे अंतरिक्ष यान लेजर से परावर्तित लेजर प्रकाश का उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है. आमतौर पर एक लेजर अल्टीमीटर या लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार)-लैंडर के स्थान को सटीक रूप से निर्धारित करने के लिए बनाया गया है. रेट्रोरिफ्लेक्टर उससे टकराने वाले किसी भी प्रकाश को सीधे स्रोत पर प्रतिबिंबित कर सकते हैं. उनको कुछ सौ किलोमीटर की दूरी से परिक्रमा करने वाले लेजर अल्टीमीटर या लिडार से ट्रैक किया जा सकता है.


नासा के मुताबिक, लैंडक विक्रम के मुख्य हिस्सों पर एलआरए के आठ गोलाकार 1.27-सेमी व्यास वाले कॉर्नर-क्यूब रेट्रोरिफ्लेक्टर लगाए गए हैं, जो 5.11 सेमी व्यास, 1.65 सेमी ऊंचे अर्धगोलाकार सोने से रंगे हुए प्लेटफॉर्म पर लगे हुए हैं. प्रत्येक रेट्रोरिफ्लेक्टर थोड़ी अलग दिशा में इंगित करता है, और प्रत्येक का अधिकतम उपयोगी प्रकाश आपतन कोण लगभग +-20 डिग्री होता है. एलआरए का कुल द्रव्यमान 20 ग्राम है, इसको चलाने के लिए किसी भी पावर सोर्स की जरूरत नहीं होती है.


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