Moon Surface Temperature: भारत में सबसे ज्यादा गर्मी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके में पड़ती है. गर्मियों में यहां तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है. सर्दियों में हिमाचल और कश्मीर में तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. इन दोनों इलाकों के बीच की दूरी करीब 900 किमी है लेकिन चांद पर सब कुछ बिल्कुल अलग है.


चांद पर तापमान में इतना अंतर महज 10 सेंटीमीटर के भीतर मिला है. जी हां, इसरो ने रविवार (27 अगस्त) को चांद की सतह के तापमान का ग्राफ जारी किया. इस ग्राफ में चांद पर तापमान में जो अंतर सामने आया है, वो हैरान करने वाला है. 


8 cm में 60 डिग्री का अंतर


मिशन चंद्रयान-3 के तहत चांद की सतह पर भेजा गया रोवर वहां के तमाम रहस्यों से पर्दा हटाने के लिए थर्मल व्यवहार को समझने की कोशिश कर रहा है. इस दौरान रोवर को चांद की ऊपरी सतह पर 50 डिग्री सेल्सियस तापमान मिला, लेकिन जब रोवर ने सतह के भीतर गड्डा करके नीचे तापमान की जांच की तो नतीजे हैरान करने वाले थे.


चांद की सतह से मात्र 8 सेंटीमीटर नीचे पहुंचने पर रोवर के चेस्ट-ChaSTE (चंद्र थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट) ने माइनस 10 डिग्री तापमान रिकॉर्ड किया. यानी 8 सेंटीमीटर नीचे जाने पर तापमान 60 डिग्री नीचे पहुंच जा रहा है.  इसरो ने विक्रम लैंडर द्वारा किए गए इन-सीटू अध्ययन के आधार पर यह डेटा सामने रखा है.


दिन में ऐसा है तो रात में क्या होगा?


इसरो ने बताया कि विक्रम लैंडर ने चेस्ट जांच का इस्तेमाल करते हुए चंद्रमा की सतह से 8 सेंटीमीटर की गहराई पर विभिन्न तापमानों का अध्ययन किया है. यहां ये बात ध्यान देने की है, इस समय जब रोवर काम कर रहा है, तब चांद पर सूर्य का प्रकाश पहुंच रहा है. इसका मतलब है कि चांद पर रात के समय ये तामपान और अधिक नीचे जा सकता है. बता दें, चंद्रमा पर दिन और रात धरती के 14-14 दिनों के बराबर होते हैं.






कैसे काम कर रहा है चेस्ट?


इसरो के अनुसार, चंद्रमा की सतह के थर्मल व्यवहार को समझने के लिए चेस्ट दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रोफाइल को मापता है. इसमें तापमान को मापने के लिए एक यंत्र लगा है, जो चंद्रमा की सतह के नीचे 10 सेमी की गहराई तक पहुंचने में सक्षण है. इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं.


इसरो ने ग्राफ के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि ये चांद की सतह के तापमान में विविधता को दिखाता है. चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहली बार तापमान मापा गया है. अभी रोवर और डेटा लैंडर को भेज रहा है, जिसके अध्ययन से चांद के कई और रहस्यों से पर्दा उठेगा.


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