Chandrayaan 3 Landing on Moon: भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर खुशी जताते हुए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख जी माधवन नायर ने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों की पगार विकसित देशों के वैज्ञानिकों के वेतन का पांचवां हिस्सा है. शायद यही कारण है कि वे मिशन मून के लिए किफायती तरीके तलाश सके.
भारत के चंद्रयान-3 की लागत दूसरे देशों के मिशन मून की तुलना में काफी कम है. हालांकि, इसे चांद पर पहुंचने में 40 दिन लगे और दूसरे देशों के स्पेसक्राफ्ट 4 से 5 दिन में ही चांद पर लैंड कर गए, लेकिन उनसे इसकी लागत कई सौ करोड़ रुपये कम है. इस पर माधवन नायर ने कहा, 'इसरो में वैज्ञानिकों, टेक्नीशियन और अन्य कर्मियों को जो वेतन भत्ते मिलते हैं वे दूसरे देशों के वैज्ञानिकों और टेक्नीशियन को मिलने वाली सैलरी का पांचवां हिस्सा है, लेकिन इसका एक लाभ भी है कि वैज्ञानिक मिशन मून के लिए किफायती तरीके तलाश सके.'
माधवन नायर ने कहा, धन की परवाह किए बगैर काम करते हैं हमारे वैज्ञानिक
उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों में कोई भी करोड़पति नहीं है और वे बेहद सामान्य जीवन जीते हैं. नायर ने कहा, 'हकीकत यह है कि वे धन की कोई परवाह भी नहीं करते. उनमें अपने मिशन को लेकर जुनून और प्रतिबद्धता होती है. इस तरह हम ऊंचा मुकाम हासिल करते हैं.'
दूसरे देशों से 60 प्रतिशत तक कम चंद्रयान-3 की लागत
माधवन नायर ने कहा, 'हम एक-एक कदम से कुछ न कुछ सीखते हैं. जैसे हमने अतीत से सीखा है, हम अगले मिशन में उसका इस्तेमाल करते हैं.' उन्होंने कहा कि भारत अपने अंतरिक्ष अभियानों के लिए घरेलू तकनीक का उपयोग करता है और इससे उन्हें लागत को काफी कम करने में मदद मिली है. भारत के अंतरिक्ष मिशन की लागत अन्य देशों के अंतरिक्ष अभियानों की तुलना में 50 से 60 प्रतिशत कम है. नायर ने कहा कि हमने अच्छी शुरुआत की है और बड़ी उपलब्धि हासिल की. इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 की कुल लागत केवल 615 करोड़ रुपये है, एक बॉलीवुड फिल्म का बजट इतना होता है.
यह भी पढ़ें:
Chandrayaan 3: 'जब चांद पर गए थे राकेश रोशन...', चंद्रयान-3 की बधाई देते हुए ये क्या बोल गईं ममता बनर्जी?