Chandrayaan-3: ख्वाब को पूरा करने की होड़ में भारत से पिछड़ा रूस! चांद पर 23 को चंद्रयान-3 की होगी सेफ लैंडिंग
ISRO: इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 के लैंडर को 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए उसे कक्षा में थोड़ा और नीचे पहुंचा दिया है.
Chandrrayaan-3 Landing: चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की दौड़ में रूस उस वक्त पीछे छूट गया, जब उसका लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस बीच भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग कराने के लिए उसे कक्षा में थोड़ा और नीचे पहुंचा दिया है.
इसरो ने रविवार (20 अगस्त) को कहा कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल को कक्षा में थोड़ा और नीचे दिया और अब इसके बुधवार को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोसकॉसमॉस ने एक बयान में कहा, "लूना-25 का लैंडर एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराने के परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त हो गया."
रूस ने 1976 के बाद भेजा स्पेसक्राफ्ट
इसने कहा कि अंतरिक्षयान से शनिवार को संपर्क टूट गया था. न्यूज़ एजेंसी पीटीआई की अनुसार, रूस ने 1976 के बाद पहली बार 10 अगस्त को अपना चंद्र मिशन भेजा था. दिलचस्प है कि भारत का चंद्रयान-2 भी चार साल पहले चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, लेकिन इसके बाद चंद्रयान-3 मिशन ने चंद्रमा की अपनी यात्रा के तहत आने वाली सभी बाधाओं को सफलतापूर्वक पार किया है.
23 अगस्त को होगी चंद्रयान-3 की लैंडिंग
अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि लैंडर माड्यूल प्रस्तावित सॉफ्ट लैंडिंग से पहले इंटरनल जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा. इसरो ने कहा कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान से युक्त लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है. इससे पहले इसरो ने कहा था कि मॉड्यूल 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा. वहीं, लूना-25 को विक्रम के लैंडिंग से दो दिन पहले 21 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरना था.
कक्षा में और नीचे आया स्पेसक्राफ्ट
इसरो ने ट्विटर पर रविवार सुबह एक पोस्ट में कहा, "दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) अभियान में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है. मॉड्यूल अब आंतरिक जांच प्रक्रिया से गुजरेगा और निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल पर सूर्योदय का इंतजार करेगा."
भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने का भारत का पिछला प्रयास छह सितंबर 2019 को उस वक्त असफल हो गया था, जब लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के जरिए स्पेस रिसर्च में भारत एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करेगा. इसने कहा कि यह उपलब्धि भारतीय विज्ञान, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी और उद्योग की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है, जो स्पेस रिसर्च में राष्ट्र की प्रगति को प्रदर्शित करता है.
टीवी पर होगा लाइव प्रसारण
इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम का टेलीविजन पर 23 अगस्त को सीधा प्रसारण किया जाएगा, जो इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा. इसरो ने कहा, "चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐतिहासिक क्षण है, जो न केवल उत्सुकता बढ़ाएगा, बल्कि हमारे युवाओं के मन में अन्वेषण की भावना भी उत्पन्न करेगा."
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