ISRO News : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अगले साल जून महीने में चंद्रयान-3 को लांच करने की योजना बनायी है. यह अभियान भविष्य में चांद की सतह पर खोज करने के लिहाज से महत्वपूर्ण अभियान है. संगठन ने अगले साल की शुरुआत में देश के पहले मानव अंतरिक्ष यान ‘गगनयान’ के लिए ‘‘एबॉर्ट मिशन’’की पहली परीक्षण करने की तैयारी भी की है. इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने एक कार्यक्रम के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि "चंद्रयान-3 (सी-3) मिशन की लॉन्चिंग यान मार्क-3 के जरिये अगले साल जून में  किया जाएगा."


इसके बाद उन्होंने कहा कि एबॉर्ट मिशन और मानवरहित परीक्षण उड़ान की सफलता के बाद इसरो ने 2024 के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष कक्ष में भेजने की योजना बनाई है.

फेल हो गया था चंद्रयान-2 मिशन

सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 मिशन के दौरान लैंडर ‘विक्रम’ का चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इसके बाद भारत का वहां यान उतारने पहला प्रयास विफल रहा था. सोमनाथ ने कहा कि  ‘‘सी-3 के बारे में बात करते हुए कहा कि यह यान  सी-2 से बिल्कुल अलग है. इस यान की इंजीनियरिंग बिल्कुल ही अलग है. हमने इसे काफी मजबूत बनाया है ताकि इसमें पिछली बार जैसी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े.’’

इसरो प्रमुख ने क्या कहा
उन्होंने कहा कि ‘‘इसमें कई बदलाव किए गए हैं. किसी भी उपकरण के विफल होने के बाद इसमें बाकी लगे और डिवाइस इसकी भरपाई करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि यह रोवर यात्रा की ऊंचाई को मापने और खतरों से मुक्त स्थानों की पहचान करने के लिए बेहतर सॉफ्टवेयर के साथ लैस है. 'गगनयान' के संबंध में सोमनाथ ने कहा कि इसरो असल में मनुष्यों को कक्षा में ले जाने से पहले 6 उड़ानें परीक्षण के लिए आयोजित करेगा. उन्होंने कहा कि ‘गगनयान’ अभियान की तैयारी ‘‘धीमी और स्थिर गति से चल रही है.’’ गगनयान की पहली गैर-चालक दल वाली उड़ान दो ‘एबॉर्ट मिशन’ के बाद यह प्रदर्शित करने के लिए होगी कि अंतरिक्ष एजेंसी के पास किसी भी घटना की स्थिति में चालक दल को बचाने की क्षमता है.


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