नई दिल्ली: केंद्रीय राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा है कि चंद्रयान-2 मिशन को असफल करार देना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि यह अभियान तकनीकी तौर पर सफल रहा है. अंतरिक्ष विज्ञान विभाग में राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने राज्यसभा में गुरुवार को प्रश्नकाल के दौरान कहा, ‘‘इस अभियान पर सभी देशवासियों की नजरें टिकी थीं. विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाना थोड़ा निराशाजनक हो सकता है लेकिन इसकी व्याख्या में अभियान को विफल करार देना सही नहीं है.’’


मंत्री जितेन्द्र सिंह ने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का हवाला देते हुये कहा कि समूचे अभियान में एक साथ कई लक्ष्यों को समाहित किया जाता है. उन्होंने कहा कि दुनिया का कोई देश ऐसा नहीं है जिसने दो से कम प्रयासों में चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की हो. उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने आठवें प्रयास में यह मुकाम हासिल करने में कामयाब रहा था. चंद्रयान के दूसरे हिस्से ऑर्बिटर की मौजूदा कार्यप्रणाली से जुड़े पूरक प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि इस अभियान के वैज्ञानिक पहलू से जुड़े ऑर्बिटर के वैज्ञानिक लक्ष्यों को हासिल कर लिया गया है. इनमें चांद की सतह की मैपिंग करना और भौगोलिक स्थितियों का विश्लेषण करने सहित अन्य काम पूरे कर लिये गये हैं.


अनेक चीजों में मिली सफलता


अभियान के तकनीकी पहलुओं की कामयाबी के बारे में उन्होंने बताया कि चंद्रयान की लॉन्चिंग सफल रही. पृथ्वी की कक्षा और फिर चांद की कक्षा में चंद्रयान का प्रवेश सफलतापूर्वक हुआ और ऑर्बिटर ने बखूबी अपना काम किया. उन्होंने कहा कि सटीक प्रक्षेपण और कक्षीय गति के कारण ऑर्बिटर की मिशन अवधि बढ़कर सात साल हो गयी है. मंत्री ने कहा, ‘‘सिर्फ चांद की सतह से 30 किमी पहले विक्रम लैंडर का इसरो से संपर्क टूट गया जिसे मैं इस अभियान की विफलता नहीं कहना चाहता.’’


मंत्री ने राज्यसभा में दिया जवाब


एआईएडीएमके की विजिला सत्यनाथन ने पूरक प्रश्न में पूछा कि विक्रम की चांद पर लैंडिंग के दिन ही मोदी सरकार के सौ दिन पूरे होने का इस अभियान से क्या कोई संबंध था और सरकार के सौ दिन पूरे होने के दिन ही विक्रम लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिये वैज्ञानिकों पर क्या दबाव डाला गया था? इस पर जितेन्द्र सिंह ने इस तरह की किसी भी आशंका को नकारते हुये कहा, ‘‘हम सब को यह मानने में कोई हर्ज नहीं होगा कि अंतरिक्ष अभियान के कार्यक्रम खगोलीय स्थितियों के मुताबिक तय होते हैं. इसलिये यह संभव नहीं है कि इस तरह के अभियान के कार्यक्रम इस प्रकार तय किये जा सकें.’’


मंत्री ने ‘चंद्रयान 3’ (तीसरा चांद मिशन) से जुड़े एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि इसरो तीसरे चंद्रयान मिशन की योजना बना रहा है. इसके लिये इसरो आवश्यक प्रौद्योगिकी पर निपुणता हासिल करने के लिये लगातार कोशिश कर रहा है. विशेषज्ञ समिति के अंतिम विश्लेषण और सिफारिशों के आधार पर आगामी चंद्र मिशनों पर कार्य प्रगति पर है.


यह भी पढ़ें-



मुंबई में कल सुबह 9 बजे होगी कांग्रेस, शिवसेना और NCP की बैठक, सरकार बनाने की कवायद तेज


हेमा मालिनी ने संसद में उठाया वृंदावन में बंदरों के आतंक का मामला, चिराग पासवान ने भी बताया अपना दर्द