Karnataka: 'बुलबुल के पंख पर बैठकर जेल से बाहर जाते थे सावरकर', कर्नाटक में 8वीं की किताब में लिखा चैप्टर
Vinayak Damodar Savarkar: कर्नाटक में 8वीं की किताब में लिखे गए इस चैप्टर को लेकर सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार की आलोचना की है.
![Karnataka: 'बुलबुल के पंख पर बैठकर जेल से बाहर जाते थे सावरकर', कर्नाटक में 8वीं की किताब में लिखा चैप्टर Chapter on Vinayak Damodar Savarkar in Class 8 Kannada language book stated that he used to go out of jail sitting on Bulbuls wing Karnataka: 'बुलबुल के पंख पर बैठकर जेल से बाहर जाते थे सावरकर', कर्नाटक में 8वीं की किताब में लिखा चैप्टर](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/08/29/24899737dd0edebfca95a495ceaf8a6e1661785300902432_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Chapter On Vinayak Damodar Savarkar: विनायक दामोदर सावरकर (VD Savarkar) पर आठवीं कक्षा की कन्नड़-भाषा की पाठ्यपुस्तक का एक चैप्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें स्वतंत्रता सेनानी का ‘महिमामंडन’ किया गया है. पाठ कलावन्नु गेद्दावरु लेखक केटी गट्टी द्वारा लिखित एक यात्रा वृत्तांत है, जिन्होंने अंडमान सेलुलर जेल (Andaman Cellular Jail) की यात्रा के बारे में अपना अनुभव बताया है, जहां हिंदुवादी नेता को कैद किया गया था.
सावरकर को जिस कारागार में बंद किया गया था, उसका वर्णन करते हुए लेखक ने कहा है, "सावरकर की कोठरी में एक सुराख तक नहीं था, फिर भी किसी तरह बुलबुल सेल के अंदर उड़ते हुए आती थी और उसके पंखों पर बैठकर सावरकर रोज अपनी मातृभूमि की यात्रा कर जेल लौट जाते थे."
सोशल मीडिया पर हो रही आलोचना
अध्याय के इस पैराग्राफ को लेकर कुछ सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने आलोचना की, जिन्होंने यात्रा वृत्तांत लेखक और कर्नाटक सरकार का मजाक उड़ाया. हालांकि, कुछ लोगों ने कहा है कि यह संदर्भ एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति या लेखक द्वारा अपने कथन के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया गया रूपक प्रतीत होता है और इसे शाब्दिक अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए.
राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
हालांकि, कुछ ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने पैराग्राफ में कही गई बातों का मजाक उड़ाते हुए एक पक्षी पर बैठे सावरकर व्यंग्यात्मक तस्वीरें भी ट्वीट की हैं. जबकि एक वर्ग ने इसे राजनीतिक प्रचार का सबसे खराब रूप और शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करना बताया है.
विधायक और कर्नाटक कांग्रेस प्रदेश समिति (KPCC) के अध्यक्ष (संचार) प्रियांक खड़गे ने वाक्यांश के संबंध में एक ट्वीट में कहा, "ऐसा लगता नहीं कि यह एक रूपक के रूप में था." पाठ एक पाठ्यपुस्तक का हिस्सा है जिसे रोहित चक्रतीर्थ (Rohit Chakratirth) की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा संशोधित किया गया था. यह समिति अब भंग हो चुकी है.
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