Charles Shobhraj: नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ‘बिकनी किलर’ और ‘द सर्पेंट’ के नाम से कुख्यात फ्रांसीसी ‘सीरियल किलर’ चार्ल्स शोभराज को उसकी सेहत के आधार पर रिहा करने का आदेश दिया. इसके बाद से ही शोभराज फिर से सुर्खियों में आ गया है. फ्रेंच पिता और विएतनामी मां का बेटा शोभराज हत्या के जुर्म में 2003 से उम्रकैद की सजा काट रहा है.
तिहाड़ जेल के पूर्व विधि अधिकारी सुनील गुप्ता ने बताया कि शोभराज को ‘बिकिनी किलर’ के तौर पर जाना जाता था और उसका महिलाओं के प्रति स्वाभाविक झुकाव था. गुप्ता ने बताया कि शोभराज एक ऐसा शातिर इंसान है जो जेल में महिला वकीलों या अन्य महिलाओं से मिलने से पहले अच्छी तरह से तैयार होता था, अच्छे कपड़े पहनता था और परफ्यूम आदि लगाता था ताकि वह उन्हें प्रभावित कर सके, लेकिन जब वह पुरुष वकीलों और अन्य से मिलना होता था तो अपने हुलिए पर ध्यान नहीं देता था.
जेल से भागने के लिए रची थी बड़ी साजिश
गुप्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”उन दिनों जेल में मिलने आने वाले लोगों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं थी और सभी तरह के लोग जेल आकर उससे मिल सकते थे. शोभराज को 1976 में तिहाड़ जेल लाया गया था और वह 1996 तक यहां रहा और फिर उसे फ्रांस को सौंप दिया गया था. उसने मार्च 1986 में तिहाड़ से भागने की साजिश रची लेकिन उसे दिल्ली पुलिस ने 22 दिन बाद ही गिरफ्तार कर लिया.
तिहाड़ से भागने के समय वह केंद्रीय जेल तिहाड़ के संख्या तीन में था. उसने जेल से भागने की साज़िश अपने दोस्त डेविड रिचर्ड हॉल के साथ मिलकर रची थी. 16 मार्च 1986 को शोभराज ने तिहाड़ जेल में एक शानदार दावत दी और नाटक किया कि उसका जन्मदिन है, जबकि उसका जन्मदिन छह अप्रैल को आता है. उसने अपने दोस्त डेविड हॉल की मदद से ‘लारपोस’ नामक नशीला पदार्थ मंगवा लिया था और उसे बर्फी में मिला दिया. फिर यह बर्फी उसने जेल कर्मियों में को बांट दिया, खासकर, गेट पर पहरा देने वालों कर्मियों को खिलाया, साथ में उसने उन्हें 50-50 रुपये भी दिए.”
शातिराना अंदाज और धूर्तता से भरा है शोभराज
इसके बाद वह द्वारपाल के दफ्तर में गया जो वहां बेहोश पड़े थे और उसने उनकी कमर से चाबी निकाली और फिर दरवाज़ा खोल कर कुछ अन्य कैदियों के साथ जेल से भाग गया. एक कर्मी पूरी तरह से बेहोश नहीं हुआ और वह ऑटोरिक्शा लेकर जेल सुपरिटेंडेंट के घर गया और उन्हें जल्दी से जेल आने को कहा. गुप्ता ने कहा कि फिर से गिरफ्तार किए जाने के बाद जब उसे वापस जेल लाया गया तो उसने दावा किया कि वह जेल से भागा नहीं था, बल्कि सुरक्षा एजेंसियों ने उसे अगवा कर लिया था और वह उससे कोई जानकारी चाहते थे.
गुप्ता ने बताया, "हॉल ने लारपोज की हजारों गोलियां हासिल कीं और उन्हें कस्टर्ड और बर्फी में मिलाया और ये मिठाई दोपहर में जेल कर्मचारियों को परोसी. यह घटना दोपहर के करीब तीन-साढ़े तीन बजे की थी." उस वक्त दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा में उपायुक्त (डीसीपी) अमोद कंठ को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था.
न वह ‘मनोरोगी’ था और न उसे सुर्खियों में आने का शौक था
पूर्व पुलिस अधिकारी आमोद कंठ ने बताया कि उसके जेल से भागने पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मच गया था. कंठ ने कहा कि वह शोभराज को काफी अच्छी तरह से जानते थे. उन्होंने उसके बारे में बताया कि न वह ‘मनोरोगी’ था और न उसे सुर्खियों में आने का शौक था. वह धूर्त था, लोगों का विश्वास जीत कर उन्हें धोखा देने वाला शख्स था.’’ उन्होंने कहा कि वह उन्हीं लोगों को निशाना बनाता था जो उसके करीब होते थे.
कंठ ने कहा, “यह उसके अपराध करने का तरीका था कि वह पीड़ित के बहुत करीब हो जाता था और दुर्भाग्य से महिलाएं उसके जाल में फंस जाती थी. वह उन्हें नशीला पदार्थ देता था, उन्हें बेहोश कर देता था और फिर उनके साथ लूटपाट करता था और कई बार उनकी हत्या भी कर देता था.”
ऐसे हुआ था गिरफ्तार
शोभराज की गिरफ्तारी के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमें जानकारी मिली थी कि वह तिहाड़ से भागने के बाद मुंबई में है जहां वह चर्चगेट के सामने एक होटल में रुका हुआ है. हम मुंबई पुलिस से संपर्क करने में कामयाब रहे और हमारी जानकारी के आधार पर, मुंबई पुलिस और दिल्ली पुलिस की हमारी टीम को गोवा भेजा गया, जहां से उसे एक रेस्तरां से पकड़ लिया गया. उस पर मुकदमा चलाया गया और मामले में उसे दोषी ठहराया गया."
वह मुंबई गया था. उसका दोस्त हॉल ब्रिटेन का नागरिक था जिसे ड्रग्स से जुड़े एक मामले में गिरफ्तार किया गया था. वह शोभराज का ऋणी था क्योंकि उसने हॉल को झूठे चिकित्सा कागजात के आधार पर रिहा कराया था. ऐसे ही एक मशहूर व्यवसायी राजेंद्र सेठी भी शोभराज से अच्छी तरह से जुड़े हुए थे क्योंकि वह भी ब्रिटेन में अपने मामले में फंसे थे और शोभराज ने उनकी मदद की थी.”
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