Cheetahs Death: कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- ‘राजस्थान और महाराष्ट्र भेजने पर हो विचार’
Cheetahs Death In Kuno National Park: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि उन्हें राजस्थान या महाराष्ट्र में शिफ्ट क्यों नहीं कर सकते?
Supreme Court On Cheetahs Death: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए गए 3 चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा है कि चीतों को सिर्फ एक जगह बसाना सही नहीं होगा. उन्हें किसी और अभयारण्य में भी बसाने की कोशिश की जानी चाहिए. सुनवाई के दौरान जजों ने साफ किया कि वह सरकार पर सवाल नहीं उठा रहे हैं. वो सिर्फ चीतों को लेकर अपनी चिंता व्यक्त कर रहे हैं.
सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि 3 चीतों की मौत की वजह पर जांच जारी है. सरकार ने यह भी बताया कि एक मादा चीता ने चार शावकों को जन्म दिया है. यह चीता प्रोजेक्ट की एक बड़ी कामयाबी है. कूनो के माहौल में चीते आराम से रह रहे हैं. एक चीते की मौत बीमारी से हुई. बाकी आपस लड़ाई में घायल होकर मरे हैं.
पीठ ने केंद्र सरकार पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई और संजय करोल की बेंच ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि किडनी की बीमारी से प्रभावित मादा चीता को भारत सरकार ने क्यों स्वीकार किया. जस्टिस गवाई ने कहा, “लंबे अरसे बाद चीते भारत लाए गए. एक ही जगह में उन्हें रखने से सबको खतरा हो सकता है. इसलिए, उन्हें किसी वैकल्पिक अभयारण्य में भी बसाने पर विचार किया जाना चाहिए. यह अभयारण्य मध्य प्रदेश में हो सकता है, राजस्थान में या महाराष्ट्र में.”
केंद्र सरकार ने क्या कहा?
इस दौरान केंद्र सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि लगभग 75 साल से चीते भारत में नहीं थे. इसलिए, उनसे जुड़े विशेषज्ञों की अभी कमी है. सरकार उनके संरक्षण के लिए अभी कई उपायों पर विचार कर रही है. इनमें उन्हें किसी दूसरे अभयारण्य में बसाने का विचार भी शामिल है. राजस्थान का मुकुंदरा नेशनल पार्क इसके लिए तैयार है. इसके अलावा मध्य प्रदेश में भी किसी दूसरे अभयारण्य पर विचार किया जा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव देने के लिए भी कहा
सुनवाई के अंत में कोर्ट ने अपनी तरफ से गठित 3 सदस्यीय एक्सपर्ट कमेटी से कहा कि वह 15 दिन में नेशनल टास्क फोर्स को अपने सुझाव दे, ताकि उन पर विचार किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जुलाई के महीने में मामले पर अगली सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चीता प्रोजेक्ट देश के लिए एक अहम परियोजना है. नए अभयारण्य का चुनाव करते समय दलगत राजनीति से जुड़ी सोच का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए.
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