चेन्नई: कोविड-19 की बीमारी से ठीक होनेवाले तब्लीगी जमात के सदस्यों ने प्लाजमा डोनेट करने की इच्छा जताई है. उन्होंने इस काम के लिए अस्पताल और जिला प्रशासन से संपर्क साधा है. दिल्ली से तमिलनाडु लौटे जमात के करीब 42 लोग हैं जिनका कोविड-19 का इलाज चल रहा था. ठीक होने के बाद उन्होंने कोविड-19 पीड़ितों की मदद करने का फैसला किया है.


जमात के सदस्यों ने प्लाजमा डोनेट कर कोविड-19 मरीजों को देने की इच्छा जताई है. जिससे उनका इलाज किया जा सके. ऐसा उन्होंने अपने ऊपर लगे आरोपों को दूर करने के लिए किया है. कोयटंबूर के ESI अस्पताल से रविवार को डिस्चार्ज होनेवाले त्रिरुप्पुर के कारोबारी मोहम्मद अब्बास ने बताया, “मैंने जिला प्रशासन और अस्पताल के डीन से मिलकर कहा कि प्लाजमा के लिए जरूरत पड़ने पर मुझसे संपर्क कर सकते हैं.” अब्बास ने बताया कि जिस दिन उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली उन्होंने जमात के अन्य सदस्यों से बात की. उन्होंने भी प्लाजमा डोनेट करने पर सहमति जताई. थेनी के मोहम्मद उस्मान अली भी उन्हीं लोगों में से एक हैं. उन्हें कोरोना का लक्षण नहीं लग रहा था मगर जमात के कहने पर कोरोना का टेस्ट करवाया. जांच के दौरान पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई.


उस्मान बताते हैं, “कोविड-19 बीमारी को मात देने के बाद अगर सरकार हमें बुलाती है तो हम सभी प्लाजमा डोनेट करने को तैयार हैं. पूरे राज्य से हमारे संपर्क में तब्लीगी जमात के करीब 42 लोग हैं जिन्होंने इच्छा जाहिर की है.” चेन्नई के निजी कंपनी में काम करनेवाले सुल्तान दिल्ली से सूबे में लौटनेवालों के बीच समन्यवक हैं. उनका कहना है कि दिल्ली जलसे में उन्होंने शिरकत नहीं की. मगर जब दिल्ली से लौटे सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए तभी से कुछ लोगों ने मुस्लिमों के प्रति बजाए जागरुकता के नफरत फैलाना शुरू कर दिया. शुरू में तब्लीगी जमात के सदस्य प्लाजमा थेरेपी के बारे में नहीं जानते थे. इसलिए थोड़ा संशय में थे मगर विस्तार से बताने पर सभी राजी हो गये. आर्कोट के नवाब मोहम्मद अब्दुल अली बताते हैं कि उनका आगे बढ़कर प्लाजमा डोनेट करने की इच्छा बताता है कि उनका जानबूझकर वायरस को फैलाने का इरादा नहीं था.


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