Chennai Rain: चेन्नई में भारी बारिश से बने बाढ़ के हालात, अगले दो दिन के लिए जारी हुई चेतावनी
चेन्नई में भारी से भारी बारिश की चेतावनी अगले 2 दिनों के लिए दी गई है. साथ ही हालात को देखते हुए स्कूल कॉलेज को भी अगले दो दिनों तक बंद रखा गया है.
चेन्नई में हो रही भारी बारिश ने शहरवासियों को 2015 की उस भयावह बाढ़ की याद दिला दी है. भारी बारिश से बने हालात 6 साल पुराने दर्श्य को ताजा कर रही है. पिछले 24 घंटो में हुई बारिश ने पूरे शहर में बाढ़ के हालात पैदा कर दिए हैं.
चेन्नई समेत उत्तरी तमिलनाडु के कई जिलों में भारी से भारी बारिश की चेतावनी अगले 2 दिनों तक है. हालात को देखते हुए स्कूल कॉलेज को भी अगले दो दिनों तक बंद रखा गया है. वडापलनी, गिंडी, सैदापेट, मांबलम, वेलाचेरी, व्यासरपाडी, एमकेबी नगर में जल भराव के कारण पानी घरों तक घुस आया है.
पानी रिलीज करने का फैसला लिया गया
भारी बारिश के चलते पूंडी, पुलल और चेंबारमबाक्कम लेक के शटर खोल दिए गए हैं. ये वो रिजर्वायर है जो शहर को पीने मुहैया करता है. लेकिन भारी बारिश के कारण इन रिजर्वायर में पानी ओवरफ्लो ना हो इसलिए पानी रिलीज करने का फैसला लिया गया है. पानी रिलीज होने के साथ ही हालत और ज्यादा डरावने दिखाई दे रहे हैं क्योंकि यह पानी अब शहर में घुस आया है और निचले इलाकों में लोगों के घरों तक घुस गया है.
हालात से निपटने के लिए राज्य की रिलीफ एंड रेस्क्यू टीम के अलावा एनडीआरएफ को भी तैनात किया गया है. खुद मुख्यमंत्री एमके स्टालिन हालात पर करीब से नजर बनाए हुए हैं. अधिकारियों ने कांचीपुरम और तिरुवल्लूर के जिलाधिकारियों को निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की सलाह दी है.
प्रदेश में चल रहा नॉर्थईस्ट मॉनसून
तमिलनाडु में इस वक्त नॉर्थईस्ट मॉनसून चल रहा है. हर साल इस समय तमिलनाडु के तटीय इलाकों और डेल्टा रीजन में भारी बारिश होती है. यहां तक की तमिलनाडु 75 फ़ीसदी पानी के लिए इसी मानसून पर निर्भर करता है. ऐसे में इस साल इस मानसून के तहत भारी बारिश देखी गई है. हालांकि चौकाने वाली बात यह कि 6 साल बाद भी प्रशासन ने 2015 की बाढ़ से कोई सबक नहीं सीखा. देश के मेट्रोपॉलिटन सिटी में इस तरह के हालात यह दिखाने के लिए काफी है कि सरकार के द्वारा दिए गए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और अर्बन प्लैनिंग की पोल खोलते हैं.
2015 की बाढ़ आपको याद होगी जिसने पूरे शहर को पानी में डुबो दिया था. हालात इतने खराब थे कि आर्मी नेवी एयरफोर्स को भी सड़कों पर उतरना पड़ा था. उस वक्त की बाढ़ का मुख्य कारण लेक बेड पर बनाए गए ड्राई लैंड और अतिक्रमण था जिसे आज तक सरकार हटा नहीं पाई है. हर बार भारी बारिश के बाद जलभराव के कारण सरकार तमाम आश्वासन तो देती है लेकिन जमीनी हकीकत की तस्वीरें कुछ इसी तरह के सामने आती है.
कई तस्वीरों में पानी में डूबी लोकल ट्रेनें दिखीं. भारी बारिश और तेज हवाओं को देखते हुए मछुआरों को भी समंदर में ना जाने की हिदायत दी गई है.
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