चेन्नई: कोरोना वायरस के खिलाफ इस जंग में डॉक्टर्स अहम भूमिका निभा रहे हैं. कई डॉक्टर्स तो इस महामारी से लोगों को निजात दिलाते दिलाते ही अपनी जिंदगी की जंग हार गए, लेकिन कई जगह बदले में इन डॉक्टर्स को जो मिल रहा है वो वाकई हैरान कर देने वाला है.
दरअसल चेन्नई में एक डॉक्टर ने कोरोना वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गवां दी लेकिन हालात ऐसे हो गए कि डॉक्टर का अंतिम संस्कार भी नहीं हो सका. आंध्र प्रदेश के नेल्लूर के रहने वाले 56 वर्षीय ऑर्थो सर्जन कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. कोरोना वायरस के इलाज के दौरान एक मरीज से उन्हें यह गंभीर बीमारी हो गई थी और उनकी हालत इतनी बिगड़ गई कि उन्होंने चेन्नई के वानगरम के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान अपनी जान गवां दी.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से कागजात के काम पूरे करने के बाद अस्पताल के कर्मचारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारीसोमवार को करीब 2 बजे शव को चेन्नई के अंबत्तुर के सिमेट्री लेकर पहुंचे. वहां के स्टाफ ने कोरोना से संक्रमित सुनते ही अपने हाथ खड़े कर लिए और अंतिम संस्कार करने से साफ इनकार कर दिया. देखते ही देखते आसपास के स्थानीय निवासी भी पहुंच गए.
लगातार चार से पांच घंटे तक स्थानीय निवासी स्वास्थ्य अधिकारी और अस्पताल स्टाफ से बहस करने लगे. उतनी देर तक मृत डॉक्टर का शव एम्बुलेंस में ही रखा रहा. मौके पर मौजूद लोगों को समझाने का प्रयास किया गया लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ.
घंटों तक हंगामे के बाद अस्पताल स्टाफ को शव वापस ले जाना पड़ा. पुलिस नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने स्थानीय लोगों को खूब समझाया कि मृत देह से कोरोना वायरस नहीं फैलता और तमाम दिशानिर्देशों के अनुसार ही दाह संस्कार किया जाएगा लेकिन बावजूद उसके बात नहीं मानी गई. परिवार उस वक्त नम आंखें लिए यह सब कुछ देखता ही रह गया. हैरत की बात यह है कि जो डॉक्टर आज देवदूत बन कर हमारी जान बचाने में लगा है उनका ठीक से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पा रहा था. मंगलवार की सुबह पुलिस के कड़े बंदोबस्त के बीच डॉक्टर का अंतिम संस्कार किया गया.
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