नई दिल्ली: वीके शशिकला कल तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रही हैं. AIADMK विधायक दल ने एक दिन पहले ही उन्हें अपना नेता चुना है. लेकिन जयललिता की छाया से निकल कर तमिलनाडु जैसे बड़े राज्य पर राज करना शशिकला के लिए आसान नहीं रहने वाला है.


शशिकला, जयललिता की परछाईं की तरह नजर आती थीं शशिकला. जयललिता की मौत के वक्त भी शशिकला सबसे नजदीक थीं. जयललिता की मौत के एक महीने के अंदर ही शशिकला पहले महासचिव बनीं और फिर दो महीने में बन गईं विधायक दल की नेता बनीं.


तीन दशकों तक जयललिता की परछाईं रही शशिकला.
1957 में जन्मीं शशिकला की मुलाकात जयललिता के साथ 1983 में हुई. 1987 में एमजीआर के निधन के वक्त मुश्किल में शशिकला ने जयललिता का साथ दिया. 1991 में सीएम बनने के बाद से उनकी करीबी सहयोगी हैं.


कहा जाता है कि नेताओं को टिकट से लेकर अफसरों की पोस्टिंग तक में शशिकला का दखल रहता था. जयललिता के बीमार होने पर सत्ता के सारे सूत्र शशिकला के हाथ में आ गए. कहा तो यहां तक जाता है कि पन्नीरसेल्वम को सीएम बनाने में भी शशिकला का अहम रोल था. विधायक दल की बैठक में पनीर सेल्वन ने ही शशिकला के नाम को सुझाया और सभी की सहमति मिली.


शशिकला को इतनी जल्दी क्यों थी?
शशिकला के शपथग्रहण की तैयारियां जोरों से मद्रास यूनिवर्सिटी में चल रहीं हैं. शशिकला ने जयललिता की परछाई से AIADMK की महासचिव और फिर विधायक दल के नेता तक का सफर आसानी से हासिल कर लिया लेकिन आगे की राह आसान नहीं होगी.


शशिकला की मुश्किलें- छह महीने में चुनाव जीतना
जयललिता जनता की नेता थीं लेकिन इसके उलट शशिकला ने आज तक पंचायत चुनाव तक नहीं लड़ा है. ऐसे में जनता का समर्थन हासिल करना शशिकला के लिए आसान नहीं होगा. यही वजह है कि शशिकला जयललिता के विधानसभा क्षेत्र चेन्नई के आरकेनगर से शायद ही लड़ें.


आरके नगर शहरी इलाका है वो ग्रामीण इलाके से लड़ सकती हैं जहां उनके समुदाय का असर है. जनता खासकर AIADMK के समर्थकों की नजर में जयललिता की मौत रहस्यमय है. इन्हीं अटकलों को खारिज करने के लिए शपथग्रहण से एक दिन पहले जयललिता का इलाज करने वाले डॉक्टर रिचर्ड बैले सामने आए और साजिशों की अटकलों को गलत बताया.


शशिकला को विधायकों का समर्थन तो मिला लेकिन जनता का कितना समर्थन मिलेगा ये कहना फिलहाल मुश्किल है. खुद जयललिता की भतीजी दीपा जयाकुमार भी जयललिता की विरासत की दावेदार है.

शशिकला के परिवार वालों पर कई मामले लंबित हैं. पति और भाईयों और भतीजों की इमेज भी खराब है. इस छवि के कारण भी शशिकला को आने वाले दिनों में मुश्किलें उठानी पड़ेंगी.


सबसे अहम खुद शशिकला पर आय से अधिक संपत्ति का केस है. अगले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट इस मामले में फैसला आना है.. अगर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटा तो शशिकला की कुर्सी जा सकती है.