चेन्नई: आय से अधिक सम्पति मामले में जेल की हवा खा रही एआइएडीएमके नेता शशिकला को बेंगलुरु सेंट्रल जेल में वीआईपी सेवा देने का मामला सामने आया है. शशिकला पर गंभीर आरोप लगे है कि उन्होंने जेल में 2 करोड़ की रिश्वत दी. डेप्युटी इंस्पेक्टर जनरल (डीआईजी) जेल डी रूपा ने आरोप लगाया कि सेंट्रल जेल में बंद शशिकला को वहां का स्टाफ वीआईपी ट्रीटमेंट दे रहा है.


शशिकला के पैर-कंधे दबाते हैं  सहायक


रिपोर्ट के मुताबिक, जेल के कई सीनियर स्टाफ गैरकानूनी गतिविधियों की इजाजत दे रहे हैं. डीजी और आईजी को लिखे खत में रूपा ने कहा है कि शशिकला को खाना पकाने के लिए अलग से कमरा दिया गया है. वहीं, स्टैंप पेपर घोटाले के दोषी अब्दुल करीम तेलगी को सहयोगियों के तौर पर अंडर ट्रायल कैदी मुहैया कराए गए हैं. उन्हें तीन-चार सहायक दिए गए हैं, जो उसके पैर-कंधे दबाते हैं.


डीजीपी पर काम में हस्तक्षेप करने का आरोप 


इस रिपोर्ट में साफ़ कहा गया है कि शशिकला ने जेल के अधिकारियों को रिश्वत दी और बदले में उन्हें फुल वीआईपी की सुविधाएं मिल रही हैं. डीआईजी डी. रूपा ने कहा है कि जेल के डीजीपी एचएसएन राव को चिट्ठी लिखी और कहा कि शशिकला ने अधिकारियों को रिश्वत के तौर पर दो करोड़ रुपए दिए हैं. यहां तक कि डीआईजी ने डीजीपी को भी इसमें शामिल बताया है. डीजीपी पर काम में हस्तक्षेप करने का आरोप भी लगाया है.


डीजीपी ने सभी आरोपों को गलत बताया


इन बड़े आरोपों के बाद जेल के डीजीपी एचएसएन राव ने कहा कि ये सभी आरोप गलत हैं. अधिकारियों ने कोई रिश्वत नहीं ली है. राव ने कहा कि वो किसी भी तरह की जांच के लिए तैयार हैं. डीजीपी के मुताबिक कोर्ट ने उन्हें आदेश दिया है कि वो शशिकला की मदद करें और उनका ख्याल रखें. उनकी टीम सिर्फ कोर्ट के ऑर्डर को फॉलो कर रही है.


इस बीच कर्णाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने इस पुरे मामले में जांच के आदेश दिए है और किसी को भी दोषी पाए जाने पर कड़ी कारवाही का आश्वासन दिया है.


रूपा के लेटर में लिखा है, 'जेल के नियमों के उल्लंघन के मामले आपके समक्ष आ चुके हैं. यह भी कहा जा रहा है कि इसके लिए 2 करोड़ रुपये की घूस दी गई. मेरी आपसे दरख्वास्त है कि आप इस मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई करें और नियम तोड़ने वाले लोगों को सजा दी जाए.' इन आरोपों के अलावा, लेटर में इस बात का भी जिक्र है कि बीते 10 जुलाई को जिन 25 कैदियों का ड्रग टेस्ट हुआ, उनमें से 18 के नतीजे पॉजिटिव निकले. लेटर में उन लोगों के नाम और उनके शरीर में मौजूद ड्रग्स का जिक्र है. अधिकतर कैदियों के शरीर में गांजा के अंश मिलने की बात कही गई है.


जेल अधिकारियों पर बड़े सवाल खड़े करते हैं आऱोप


लेटर में कुछ खास मामलों का जिक्र है, जिनके मुताबक जेल के सीनियर अधिकारियों ने ऐक्शन नहीं लिया. इस लेटर की कॉपी एबीपी न्यूज़ के पास भी मौजूद है. साफ़ है एक सीनियर अधिकारी द्वारा लगाए गए ये आरोप कहीं न कहीं जेल अधिकारियों पर बड़े सवाल खड़े करते हैं. आखिर जेल में ड्रग्स कैसे पहुँचते है, किन किन लोगों की मिलीभगत है? आरोपियों को वीआईपी ट्रीटमेंट आखिर क्यों?