चेन्नई: तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं. शहर के हालात ऐसे हैं कि पीने के पानी के लिए लोग भोर में उठकर पहले टोकन ले रहे हैं और फिर लंबी-लंबी कतारों में लगकर पानी भरने को मजबूर हो रहे हैं. पानी की किल्लत इतनी है कि स्कूलों का टाइम भी कम कर दिया गया है और प्ले स्कूल बंद कर दिए हैं.


बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही हैं जिंदगियां 


बता दें कि चेन्नई कई सालों से पानी की कमी से जूझ रहा है, लेकिन पिछले कुछ सालों से हालात और ज्यादा गंभीर हो गए हैं. राज्य के कई जल स्त्रोत और नदियां सूखी पड़ी है और जिंदगियां बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही हैं.


वहीं गंभीर जल संकट के बीच राज्य सरकार ने कहा है कि वह अक्टूबर में उत्तर पूर्व मानसून के आने तक अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मुख्यत: भूजल पर निर्भर है. मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने कहा कि सूखे और मानसून की कम बारिश से भूजल स्तर में गिरावट हुई है. उन्होंने दावा किया कि यह मुद्दा उतना बड़ा नहीं है जितना उसे विशेष रूप से मीडिया में बनाया जा रहा है.


जरूरतों को भूजल स्रोतों से पूरा करना होगा- सीएम पलानीस्वामी


जयललिता स्मारक के निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा के बाद उन्होंने मीडिया से अनुरोध किया कि कुछ रिपोर्ट के आधार पर जल संकट पर ‘‘भ्रम’’ पैदा नहीं किया जाए. उन्होंने कहा, ‘‘(उत्तरपूर्व) मानसून अक्टूबर-नवंबर में आएगा. तब तक हमें अपनी जरूरतों को भूजल स्रोतों से पूरा करना होगा.’’ उत्तरपूर्व मानसून तमिलनाडु विशेषकर गंभीर जल संकट से जूझ रहे चेन्नई में बारिश कराता है.


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