नई दिल्ली : लोक आस्था का महापर्व छठ का अनुष्ठान रविवार से नहाय-खाय के साथ शुरू हो जाएगा. तीन दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान में विधि के अनुसार सभी पूजा सामाग्री आवश्यक मानी जाती है. नहाय-खाय के दौरान चावल, चने की दाल और लौकी की सब्जी खाया जाता है. साथ ही लोग खरना की तैयारी भी शुरू कर देते हैं. खरना सोमवार को है. इस दिन गुड़ और चावल की विशेष खीर बनाई जाती है. व्रती के खाने के बाद इसे लोगों में प्रसाद के रूप में बांटते हैं.
इस पर्व में छठ व्रती पूरी पवित्रता का ख्याल रखते हैं. नहाय-खाय के अनुष्ठान को लेकर शनिवार को छठ व्रतियों ने तैयारी को अंतिम रूप दिया. पर्व को लेकर घरों से लेकर बाजार तक रौनक बढ़ गई है. बताते चलें कि इस महापर्व में पवित्रता के सामने आधुनिक संसाधन फीके पर जाते हैं. लोग परंपरागत पुराने संसाधनों का ज्यादा उपयोग करते हैं जिसके कारण चक्की का प्रचलन भी इस पर्व में दिखाई पड़ता है.
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महिलाएं चावल को आटा बनाने के लिए इन्हीं चक्की का उपयोग करती है. घरों में भले ही यह पुराने संसाधन आज के दौर में उपयोग में नहीं आते हो लेकिन इस त्योहार में आस्था का आलम यह है कि पवित्रता के ख्याल से पुराने साधनों का ही उपयोग किया जाता है.
भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित करने के लिए जगह-जगह पर सूप और दउरा की दुकानें सजाई गई है. उन दुकानों पर छठ व्रतियों की भीड़ खरीददारी के लिए उमड़ रही है. इस पर्व में पीतल के बर्तनों की भी काफी मांग होती है जिसके कारण उन बर्तनों की खरीददारी भी जोर-शोर से होती है. बांस से सूप और दौरे बनाने वाले लोग इस त्योहार को देखते हुए पहले से ही इसे बनाने में में जुटजाते है. नहाय-खाय के अनुष्ठान में छठ व्रती पूरी पवित्रता और परंपराओं का पालन करते हैं.