Chhath Puja LIVE Updates: लोक आस्था के महापर्व छठ की उत्तर भारत में धूम, पटना में श्रद्धालुओं ने लगाई पवित्र डुबकी

Chhath Puja 2020 LIVE Updates, Chhath Puja Wishes, Photos and Celebrationbs: छठ पूजा के पर्व की शुरुआत हो चुकी है. चार दिन तक मनाए जाने वाले त्योहार को लेकर लोगों में उत्साह देखने को मिल रहा है. लोग इस अवसर पर व्रत रख सूर्य देवता का धन्यवाद करते है.

एबीपी न्यूज़ Last Updated: 20 Nov 2020 07:33 AM
चार दिवसीय अनुष्ठान में तीसरे दिन आज खरना डूबते हुए सूर्य की पूजा और चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. उल्लेखनीय है कि इस बार साझ का अर्घ्य आज होगा और सुबह का अर्घ्य 21 नवंबर को है.
देहरादून में भी प्रशासन ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए घाटों पर छठ महापर्व को मनाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है. प्रशासन ने घाटों और नदियों के किनारे लोगों के एकत्रित होने को लेकर गाइडलाइन जारी की है. गाइडलाइन में कहा गया है की इस बार श्रद्धालु इन जगहों पर सूर्य को अर्घ्य नहीं देंगे, बल्कि अपने-अपने घरों पर ही छठ पूजा को मनायेंगे.
देहरादून के अलावा धर्मनगरी हरिद्वार में भी छठ पूजा के लिए घाटों और नदियों किनारे लोगों के जमा होने पर रोक लगाई गई है. जिला प्रशासन ने छठ पूजा मनाने के लिए गाइडलाइन जारी की है. गाइडलाइन में हर की पैड़ी समेत अन्य सार्वजनिक गंगा घाटों पर छठ पूजा और सूर्य की आराधना पर रोक लगाई गई है. जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि सभी श्रद्धालु अपने घरों में रहकर कोरोना से बचाव करते हुए छठ का पर्व मनाएंगे.


छठ पर्व का आज दूसरा दिन है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के दूसरे दिन खरना का महत्व होता है. छठ पर्व में खरना के दिन व्रत किया जाता है और व्रती अपने कुल देवता और छठ माता की आराधना की जाती है. खरना कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर होता है. खरना छठ पर्व के दूसरे दिन का अनुष्ठान है. इसे लोहांडा भी कहा जाता है. खरना का अर्थ शुद्धिकरण होता है. खरना के दिन विशेष तरह का प्रसाद तैयार किया जाता है.

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कोरोना का प्रभाव कम जरूर हुआ है लेकिन संक्रमण अभी समाप्त नहीं हुआ है इसलिए मेरा आप सब से निवेदन है कि इस बार का छठ पर्व आप सब अपने घर पर मनाने का प्रयास करें इससे आप और आपका परिवार संक्रमण से बचा रहेगा.


कोरोना महामारी के चलेत बंगाल में छठ पर्व को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं. राज्य की ममता सरकार ने यहां पर प्रतिबंधित ढंग से समारोह मनाने की इजाजत दी है, लेकिन आतिशबाजी की अनुमति नहीं दी गई. जबकि अगर ओडिशा की बात करें तो यहां पर नदी के किनारे नहाने और समारोह पर पाबंदी लगाई गई है. ओडिशा सरकार ने ये प्रतिबंध इसलिए लगाया है क्योंकि घाट पर लोग एकत्र होते हैं तो भीड़ में कोरोना का संक्रमण अधिक फैलने का खतरा पैदा होगा. इतना ही नहीं, राज्य सरकार की चेतावनी है कि इस आदेश का उल्लंघन करने वाला कोई भी व्यक्ति 2005 के आपदा प्रबंधन अधिनियम और अन्य संबंधित कानूनों के तहत सजा दी जाएगी.

महाराष्ट्र में भी कोरोना के चलते इस बार छठ पर्व के मौके राज्य की उद्धव सरकार ने कई तरह की रोक लगाते हुए गाइडलाइन्स जारी की है. बीएमसी ने मुंबई में समुद्र तटों, नदी और तालाब में छठ पूजा मनाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही, मुंबई पुलिस से भी कहा गया है कि वे सार्वजनिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की भीड़ को इकट्ठा होने से रोंके. हालांकि, इन कड़े निर्देशों के बीच कृत्रिक तालाबों में छठ पूजा की इजाजत दी गई है.

कोरोना महामारी के चलते झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने इस बार छठ पर्व को दिल्ली की तरह की सार्वजनिक तौर पर मनाने की इजाजत नहीं दी है. राज्य सरकार ने सार्वजनिक तालाब, बांध, जलाशय और नदी में छठ पूजा के मौके पर अर्घ्य की इजाजत नहीं दी है. राज्य सरकार ने गाइडलाइन्स में श्रद्धालुओं से छठ पूजा घर में ही मनाने की अपील की है.
उत्तर प्रदेश की योगी सररकार ने कोरोना के बीच छठ पर्व को लेकर जारी गाइडलाइन्स में सुरक्षा के सख्त निर्देश दिए हैं. राज्य के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि पूजन स्थलों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए और सभी कार्यक्रमों में 2 गज की दूरी और मास्क का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. इसके साथ ही, इन गाइडलाइन्स में महिलाओं से कहा गया है कि वे छठ पर्व को घर पर ही मनाएं या घर के पास ही मनाएं. साथ ही, घाटों में पानी के बहाव के समुचित प्रबंध के निर्देश भी दिए गए हैं.
बिहार सरकार ने लोगों से इस बार कोरोना महामारी के चलते यथा संभव घर पर ही छठ पूजा करने की अपील की है. इसके साथ ही प्रशासन ने श्रद्धालुओं से तालाब किनारे पूजा करने और अर्घ्य के दौरान उसमें डुबकी नहीं लगाने का आग्रह किया है. गृह विभाग के निर्देशों के अनुसार, छठ पर्व के दौरान बुखार से ग्रस्त व्यक्ति, 60 साल से ऊपर के व्यक्ति, 10 साल से कम उम्र के बच्चे और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों को छठ घाटों पर नहीं जाने की सलाह दी है. इसके साथ ही, प्रत्येक व्यक्ति को मास्क का प्रयोग करने और 2 गज की दूरी का अनिवार्य रूप से पालन करने की सलाह दी गई है.

दिल्ली सरकार ने कोरोना के तेजी से बढ़ रहे मामलों के देखते हुए इस मौके पर अवकाश तो घोषित किया है लेकिन सार्वजनिक तौर पर छठ पूजा की इजाजत नहीं दी है. हालांकि, लोग अपने घरों में या किसी निजी स्थल पर छठ का यह पर्व मना सकते हैं. त्योहार में कोविड-19 दिशा-निर्देशों का पालन करना जरूरी होगा. हालांकि रोक को लेकर जमकर राजनीति भी हो रही है. यही नहीं महामारी के प्रकोप को देखते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भी राष्ट्रीय राजधानी में घाटों पर छठ पूजा समारोह आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया.
छठ के मौके पर श्रद्धालु नदी किनारे सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भारी तादाद में पहुंचते हैं. लेकिन इस बार छठ के इस महापर्व पर देशभर के अलग-अलग राज्यों में वहां की सरकार ने कई तरह की रोक लगाते हुए गाइडलाइन्स जारी की है.


छठ की छठा पूरे पूर्वी भारत में देखने को मिल रही है. काशी नगरी वाराणसी में भी इसके लिए खास तैयारियां की जा रही हैं. छठ व्रती गंगा घाट के किनारे पहुंच रहे हैं और अपनी आस्था को प्रकट कर रहे हैं. यहां घाटों को सजाया जा रहा है. गंगा की लहरों पर छठ गीत गूंजने लगे हैं.



ऐसा भी माना जाता है कि सूर्य को जल अर्पित करते हुए जो जल नीचे गिरता है उस जल का छींटा भक्तों के पैरों को ना छूए इसीलिए अर्घ्य पानी में खड़े होकर देने का विधान है. शास्त्रों के मुताबिक छठी माता भगवान सूर्य की मानस बहन हैं और उनकी पूजा करने से सूर्यदेव को प्रसन्न किया जा सकता है.
कहते हैं कि किसी भी पवित्र नदी में प्रवेश किया जाए तो सभी पाप नष्ट हो जाते हैं. यही कारण है कि नदी या फिर तालाब में खड़े होकर अर्घ्य देने से और भी शुभ फल प्राप्त किए जा सकते हैं.
ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के दौरान श्री हरि जल में ही निवास करते हैं. और सूर्य को ग्रहों का देवता माना जाता है. ऐसे में मान्यता है कि नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाए तो भगवान विष्णु और सूर्य दोनों की ही पूजा एक साथ हो जाती है.
छठ पूजा के दूसरे दिन भी सियासत जारी है. दिल्ली में घाट पर पूजा की मांग पर बीजेपी अड़ी हुई है. महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार को बीजेपी ने हिंदू विरोधी करार दिया है.
छठ पूजा का कार्यक्रम 4 दिनों तक चलता है. इस पर्व में पहले दिन नहाय खाय की रस्म अदा होती है तो वहीं दूसरे दिन यानि आज 19 नवंबर को खरना की रस्म होगी. आज छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है और जब प्रसाद बन नहीं जाता तब तक कुछ भी खाने की मनाही होती है. प्रसाद बनाने के बाद व्रती खीर ग्रहण करते हैं लेकिन फिर व्रत का पारण होने तक अन्न जल ग्रहण नहीं किया जाता है. तीसरे दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और छठी मैया से संतान की खुशहाली व सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा जाता है तो वहीं चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर यह व्रत संपन्न होता है.

छठ के महापर्व का विशेष महत्व होता है. जिसमें सूर्य की आराधना और उपासना की जाती है. डूबते हुए सूर्य और उगते हुए सूर्य का विशेष महत्व होता है और ये पर्व 4 दिन तक मनाया जाता है. आज महापर्व का दूसरा दिन है.
बिहार के वैशाली प्रशासन ने लोगों की आस्था को ध्यान में रखते हुए घर-घर गंगाजल पहुंचाने के मुहिम की शुरुआत की है. प्रशासन ने व्रतियों के तक गंगाजल पहुंचाने के लिए टैंकर सेवा शुरु की है. प्रशासन की ओर से गंगाजल मंगवाने के लिए नंबर जारी किया है और कहा गया है कि नंबर पर कॉल करने पर टैंकर लोगों के मुहल्ले और घरों तक जाकर गंगाजल पहुंचाएगी.
दिल्ली हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थलों पर छठ पूजा मनाने की अनुमति देने से बुधवार को यह कहते हुए इनकार कर दिया कि किसी भी व्यक्ति को कोई भी त्योहार मनाने या किसी भी धर्म का पालन करने के लिए पहले जीवित रहना होगा. राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 की तीसरी लहर चल रही है. जस्टिस हिमा कोहली और सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, "समाज के सभी वर्गों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए लेकिन त्योहार मनाने के अधिकार की जगह लोगों के जीवन जीने और स्वास्थ्य के अधिकार की बलि नहीं दी जा सकती है, भले ही वह किसी खास समुदाय के लिए महत्वपूर्ण हो."
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बिहार के उनके समकक्ष नीतीश कुमार ने कोविड-19 महामारी के चलते छठ के दौरान सावधानी बरतने की अपील की. आदित्यनाथ ने पूर्व के त्‍योहारों की भांति छठ पर्व भी घर पर ही मनाने की अपील की है.
नहाय-खाय के बाद कल खड़ना के साथ 36 घंटे के निर्जला व्रत की शुरुआत होगी. कल शाम खड़ना की पूजा और प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रती उपवास करेंगी, जिसके बाद शुक्रवार की डूबते सूर्य और शनिवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न होगा.
आज नहाय खाय से छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में तीसरे दिन कमर तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के दौरान श्री हरि जल में ही निवास करते हैं. और सूर्य को ग्रहों का देवता माना जाता है. ऐसे में मान्यता है कि नदी या तालाब में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाए तो भगवान विष्णु और सूर्य दोनों की ही पूजा एक साथ हो जाती है.
ओडिशा: भुवनेश्वर में टोकरी बुनकरों का कहना है कि इस साल उनका व्यापार कोविड-19 की वजह से बहुत कम रहा है.
टोकरी बुनकर ने कहा, ''मैंने पहले ही 50,000 रुपये का निवेश किए हैं, लेकिन व्यापार बहुत मंदा है. ग्राहक कम हैं क्योंकि सरकार ने नदी किनारे और घाटों पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया है.
छठ पूजा को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार लंका विजय के बाद रामराज्य की स्थापना के दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्यदेव की आराधना की. सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था. एक अन्य मान्यता के अनुसार छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी. सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्यदेव की पूजा शुरू की. कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे. वह प्रतिदिन घण्टों कमर तक पानी में ख़ड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे.
दिल्ली: आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर छठ पूजा के लिए जाने वाले यात्रियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई.

कन्फर्म टिकट वाले यात्रियों को स्टेशन में प्रवेश करने की अनुमति, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए बैठने व्यवस्था, किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटने के लिए डॉक्टर भी तैनात हैं.

बैकग्राउंड

लोक आस्था के महापर्व छठ का आगाज़ आज नहाय-खाय के साथ हो गया है. सुबह से ही महिलाएं गंगा स्नान कर छठ का पारंपरिक गीत गाकर नहाय-खाय का प्रसाद बनाने में जुटी रहीं. बता दें कि इस पर्व में छठ व्रती के साथ घर अन्य सदस्य भी विशेष रूप से भागीदारी निभाते हैं.


 


आज के दिन कद्दू सब्जी का विशेष महत्व माना जाता है. अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी से नहाय-खाय का प्रसाद किया जाता है. कई जगहों पर आज के दिन को कद्दू भात भी कहते हैं. गंगा किनारे रहने वाले ज्यादातर छठ व्रती गंगा जल में नहाय खाय का प्रसाद बनाते हैं.


 


छठ पूजा का क्या समय और तिथि रहेगा


 


18 नवंबर से 21 नवंबर 2020 तक चलेगा छठ त्योहार


 


4 दिनों के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त मुहूर्त:
दिन 1- चतुर्थी (नहाय खाय)
सूर्य उदय: प्रातः 06:45
सूर्यास्त: सायं 05:25


 


दिन 2- पंचमी (लोहंडा और खरना)
सूर्य उदय: प्रातः 06:46
सूर्यास्त: सायं 05:25


 


दिन 3- षष्ठी (छठ पूजा, संध्या अर्घ्य)
सूर्य उदय: प्रातः 06:47
सूर्यास्त: सायं 05:25


 


दिन 4- सप्तमी (उषा अर्घ्य, पारण दिवस)
सूर्य उदय: प्रातः 06:48
सूर्यास्त: सायं 05:24

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