पटना : देशभर में आस्था का महापर्व छठ हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. बिहार के अलावा भी देश के कई हिस्सों में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए भारी भीड़ घाटों पर उमड़ी. बिहार के अलावा गुवाहाटी के ब्रह्मपुत्रा घाट, वाराणसी के अस्सी घाट और गोरखपुर के सुरजकुंड घाट पर व्रतियों ने धूमधाम से छठ का पर्व मनाया. महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को नहाय खाय के साथ शुरू हुआ था. सोमवार को खरना पूजा भी संपन्न हुई तो वहीं मंगलवार शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया गया. अब कल बुधवार को सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही यह महापर्व संपन्न होगा.
व्रतियों ने शाम में खड़े होकर भगवान भास्कर की आराधना की. सूर्य अस्त होने के बाद सभी लोग घर की ओर प्रस्थान वापस गए. बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर वर्ती अपने व्रत का समापन करेंगे. जिसके बाद वहां मौजूद लोगों के बीच ठेकुआ और पूजा में उपयोग किए गए फलों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा.
ऐसी मान्यता है कि छठ में डूबते सूर्य की पूजा करने से मान-सम्मान बढ़ता है और उगते सूर्य की पूजा करने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है. कई जगह ऐसी मान्यताओं का भी जिक्र है जिसमें कहा गया है कि शाम के वक्त सूर्य अपनी दूसरी प्रत्युषा के साथ रहते हैं और प्रसन्न भाव होते हैं. माना जाता है कि इस वक्त उनकी पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है.
चार दिनों तक चलने वाले इस पूजा में घर के सभी सदस्य भाग लेते हैं. नए नए कपड़े पहन कर सभी लोग छठ घाट तक जाते हैं और वहां होने वाले पूजा में शामिल होते हैं. इस दौरान बच्चों में खासा जोश देखने को मिलता है.
खास बात यह है कि इस पूजा में ब्रह्माण यानी पूजा करवाने वालों की कोई जरूरत नहीं होती है. व्रती खुद से सूर्य की आरधना करते हैं और उन्हें अर्घ्य अर्पित करते हैं. इस दौरान जो लोग इस व्रत को नहीं कर रहे होते हैं वह व्रती के सूप को जल अर्पण करते हैं.