नई दिल्ली: देश में सभी राज्यों के नतीजे लगभग आ चुके हैं. सभी राज्यों में टॉप करने वाले छात्रों के अलग-अलग सपने हैं. कोई इंजीनियर बनना चाहता है तो कोई डॉक्टर. इस बीच एक ऐसा टॉपर भी है जो कुछ करना तो दूर सपने भी नहीं देख सकता. उसके सपनों की दुश्मन बनी है गरीबी.


ये कहानी 4 लाख बच्चों में सबसे अव्वल आने वाले छत्तीसगढ़ 12वीं क्लास के टॉपर धावेंद्र साहू की है. धावेंद्र साहू के गणित में 100 में से 99 नंबर, संस्कृत में 100 में से 97 नंबर, एसएसटी में 100 में से 96 नंबर और विज्ञान में 100 में से 91 नंबर आए हैं. इतने अच्छे नंबर आने के बाद भी धावेंद्र गरीबी के आगे मजबूर होकर मां के साथ सब्जी बेच रहे हैं.


दरअसल नतीजे आए तो धावेंद्र की पीठ थपथपाने वालों में बालोद जिले के तत्कालीन कलेक्टर भी शामिल थे. धावेंद्र ने उन्हीं से कहा कि सर मैं आईआईटी कोचिंग के लिए कोटा जाना चाहता हूं. धावेंद्र कोटा गया भी, वहां कई कोचिंग सेंटर से फीस के बारे में बात की, तत्कालीन डीएम को फोन और व्हाट्स एप करके मदद मांगी, 15 दिन तक उनसे आर्थिक मदद मिलने का इंतजार किया लेकिन सरकारी पचड़े में फंसकर आखिरकार टैलेंट हार गया.


धावेंद्र को अब भी इंतजार है कि कोई आएगा और उसे आईआईटी की पढ़ाई के लिए कोचिंग कराने में मदद करेगा लेकिन फिलहाल उसने एक बल्ब के सहारे घर में ही आईआईटी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है.