नई दिल्ली: राफेल लड़ाकू विमान सौदा केवल केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ के एक गांव के लिए भी परेशानी का सबब बन गया है जिसे इस सौदे के विवादों में घिरे होने के कारण मजाक का पात्र बनना पड़ रहा है. दरअसल, छत्तीसगढ़ के महासमुंद निर्वाचन छेत्र में एक छोटा सा गांव है, जिसका नाम 'राफेल' है. इस गांव में करीब 2000 परिवार रहते हैं.
गांव में रहने वाले 83 साल के धर्म सिंह ने कहा, ''अन्य गांवों के लोग हमारा मजाक उड़ाते हैं. वे कहते हैं कि यदि कांग्रेस सत्ता में आई तो हमारी जांच होगी. हम गांव का नाम बदलने का अनुरोध लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय भी गए थे लेकिन हम उनसे मिल नहीं सके.''
धर्म सिंह ने कहा, ''राफेल विवाद के कारण यह नाम केवल नकारात्मक ध्यान आकर्षित करता है, लेकिन हमारे गांव की कोई परवाह नहीं करता. राज्य के बाहर तो अधिकतर लोगों को गांव के बारे में पता भी नहीं है.'' सिंह ने बताया कि गांव में पेयजल और स्वच्छता जैसी बुनियादी जरूरतें भी नहीं हैं. खेती बारिश पर आधारित है क्योंकि यहां सिंचाई की कोई सुविधा नहीं है. सिंह को इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि गांव का नाम राफेल क्यों रखा गया और इसका क्या अर्थ है.
सिंह ने कहा, ''मुझे नहीं पता, लेकिन गांव का दशकों से यह नाम है. साल 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन से भी पहले यह नाम है. मुझे इस नाम के पीछे का तर्क नहीं पता.'' उल्लेखनीय है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार को फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर निशाना बना रहे हैं. उनका आरोप है कि हर विमान की कीमत तेजी से बढ़ी है और इस सौदे से उद्योगपति अनिल अंबानी को लाभ होगा. सरकार और अंबानी ने इन आरोपों से इनकार किया है.
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