नई दिल्ली: पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच अब छत्तीसगढ़ में भी सियासी उठापटक शुरू हो गई है. बुधवार को अचानक भूपेश बघेल खेमे के क़रीब 15 विधायक दिल्ली पहुंच गए. जिसके बाद प्रदेश में एक बार फिर ये चर्चा शुरू हो गई है कि क्या ढाई-ढाई साल का मामला अभी ख़त्म नहीं हुआ है? जानिए पूरा मामला क्या है.


दिल्ली पहुंचे कांग्रेस के क़रीब 15 विधायक


छत्तीसगढ़ के सियासी जानकार हों या गली मोहल्ले में बैठे लोग. हर कोई प्रदेश में सीएम के ढाई-ढाई साल रहने की चर्चा कर रहा है. जबकि अब भूपेश बघेल को सीएम रहते क़रीब तीन साल होने को हैं. पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ में भी अचानक हाईकमान नेतृत्व परिवर्तन न कर दे, इसको लेकर हाईकमान तक अपनी बात पहुंचाने कांग्रेस के क़रीब 15 विधायक दिल्ली पहुंचे हैं.


भूपेश बघेल के करीबी हैं दिल्ली जाने वाले सभी विधायक


जो विधायक दिल्ली गए हैं, वो सभी सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. बृहस्पति सिंह ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा कि सभी विधायक दिल्ली प्रभारी पीएल पुनिया से मिलेंगे और उसके बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का समय मागेंगे. विधायक का कहना है कि राहुल गांधी छत्तीसगढ़ आने वाले हैं. इससे पहले राहुल गांधी से मिलकर विधायक उनसे अपने दौरे में कुछ और इलाक़े को जोड़ने की अपील करेंगे.


परिवर्तन की बात पहले छुपी थी, लेकिन अब सबके सामने आई- सिंहदेव


छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के दावेदार स्वास्थ मंत्री टीएस सिंहदेव ने दिल्ली जाने वाले विधायकों के पार्टी नाराजगी व्यक्त की है और साफ कहा है, ‘’परिवर्तन की बात पहले छुपी थी, लेकिन अब सबके सामने आ चुकी है. और ये विधायक हाईकमान के सामने इसी मसले पर अपनी राय रखने गए हैं. राहुल गांधी को छत्तीसगढ़ आने का न्योता मुख्यमंत्री खुद दे चुके हैं. ऐसे में ये विधायक मुख्यमंत्री से ऊपर हैं क्या?’’


क्या है पूरा विवाद?


दरअसल, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल बनाम टीएस सिंह देव के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर ढाई-ढाई साल पर रोटेशन का झगड़ा है. इसको लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मज़बूत वरिष्ठ नेता टीएस सिंह देव वर्तमान सीएम भूपेश बघेल के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते रहे हैं.


ढाई साल पहले छतीसगढ़ में भारी बहुमत से आई कांग्रेस सरकार में 17 दिसम्बर 2018 को भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनाए गए थे. माना जाता है कि तब कांग्रेस ने छतीसगढ़ के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को ये कह कर बघेल के नाम पर राज़ी किया था कि ढाई साल बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया जाएगा. 


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