छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक 11वीं क्लास के लड़के ने खुद अपना केस लड़ा. उसकी दलीलें सुनकर जज भी खुश हो गए. इस लड़के ने दो माफियाओं पर उसे परेशान करने और फर्जी तरीके से केस में फंसाने का आरोप लगाया है. उसका कहना है कि उसको इतना परेशान किया जा रहा है कि वह आगे की पढ़ाई भी नहीं कर पा रहा है.


सुनवाई के दौरान जज ने उससे जो भी सवाल किए उनके जवाब में उसने प्रोफेशनल एडवोकेट की तरह जवाब दिया. साथ ही उन्होंने हर दलील के साथ सबूत भी पेश किए. 


सुनवाई शुरू करते हुए जज ने पूछा, 'क्या है मिस्टर, क्या प्रेयर है आपकी? आपके खिलाफ कोई एफआईआर है?' याचिकाकर्चता ने बताया, 'जी सर लॉर्डशिप, मैंने 482 के लिए एफआईआर परस्यू के लिए लगाई थी. सर मेरा सिर्फ मेमोरेंडम लगाए हैं और मुझे आरोपी बना दिया गया. 24 जून को मेरे घर पुलिस वाले आए थे. मेरा कहना है कि एक माफिया है कि नरेंद्र मोटवानी और ऋषभ पानकर. जब मैं अंडर 18 था, तब उन्होंने मुझे किडनैप किया था. उनकी एफआईआर मैंने करवाई हुई है. जब उन्होंने मुझे किडनैप किया था तो एक लड़की भी अपने साथ रखे हुए थे. उन्होंने मुझसे कहा- तुझे रेपकेस में फंसा देते हैं, ऐसा-वैसा उन्होंने ऐसा बोला.'


जज ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वह क्या करते हैं और उनके पिता क्या करते हैं और परिवार में कौन-कौन है. याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, 'मैं स्टूडेंट हूं. मेरे फादर एडवोकेट थे वो अब नहीं है. घर में मम्मी हैं और भाई हैं और मेरी मम्मी हाउसवाइफ हैं. मैं स्कूल में हूं लेकिन मैं पढ़ नहीं पा रहा हूं. मैंने भारत माता स्कूल से दसवीं की है और मुझे 12वीं करनी है, लेकिन मैं पढ़ नहीं पा रहा हूं. ये लोग मेरे घर पर आकर मुझे प्रताड़ित करते हैं और इनकी वजह से मैं 11वीं करने के लिए एडमिशन भी नहीं ले पा रहा हूं. ये माफिया लोग मुझे घर में रहने नहीं देते हैं.'


याचिकाकर्ता ने आगे बताया कि ये लोग उनके घर आकर उन्हें प्रताड़ित करते हैं, जिसकी ऑडियो और वीडियो सबूत के तौर पर पैनड्राइव में उन्होंने कोर्ट में पेश की. याचिकाकर्ता ने कहा कि एफआईआर में कहीं भी उनका नाम नहीं दिया गया. उन्होंने कहा, 'मैं इस केस में 17 साल का हूं, लेकिन इन्होंने कहीं भी मेरा आइडेंटिटी नहीं लगाया है. लॉर्डशिप जैसे ही मेरी उम्र 18 साल हुई तो केस इन्होंने मेरे ऊपर आईटी एक्ट और 420 का के. बना दिया. एक ही थाने में बनाया और एक ही टाइम पर दो केस बना दिए. नोटिस में मेरा फर्जी साइन कर दिया और मैं अंडर 18 हूं, मेरा कोई दस्तावेज नहीं दिया गया. मेरी उम्र कुछ भी लिख दी है. मेमोरेंडम के बेस पर केस बना दिया.


याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी इंस्टाग्राम में उनका नंबर एड करके उन्हें फंसाया जा रहा है. उन्होंने ने बताया कि 10-15 और लोगों ने भी इन लोगों के खिलाफ केस किया हुआ है. इन दोनों लोगों में से एक अभी जेल में बंद हैं और अब वह बेल पर बाहर आने वाला है. याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के बाद जज ने स्टेट काउंसिल को अगली सुनवाई तक काउंटर एफडेविट जमा करने का निर्देश दिया. आरोपी की बेल पर भी कोर्ट ने रोक लगा दी है.


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