Chhattisgarh naxalite killed in encounter: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में पुलिस अधिकारियों ने मुठभेड़ में एक नक्सली को मार गिराने का दावा किया है. वहीं मारे गए कथित नक्सली के परिजनों ने उसके नक्सली संगठन से जुड़े होने से इंकार करते हुए उसे किसान बताया है. नारायणपुर जिले के पुलिस अधीक्षक गिरिजाशंकर जायसवाल ने सोमवार को बताया कि जिले के भरंडा थाना क्षेत्र में दो दिन पहले बम विस्फोट की घटना हुई थी. पुलिस को जानकारी मिली थी कि नक्सली गणतंत्र दिवस पर ऐसी किसी घटना को अंजाम दे सकते हैं.
जायसवाल ने बताया कि प्राप्त सूचना के आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस दल को भरंडा गांव रवाना किया गया. जब पुलिस दल के जवान रात करीब डेढ़ बजे भरंडा गांव में पुल के करीब पहुंचे तब नक्सलियों ने उनपर गोलीबारी शुरू कर दी. पुलिस की जवाबी कार्रवाई के साथ ही मुठभेड़ शुरू हो गई. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि कुछ देर बाद नक्सली वहां से फरार हो गए. बाद में जब घटनास्थल की तलाशी ली गई तब वहां एक नक्सली का शव, भरमार बंदूक, कुकर बम और विस्फोटक बरामद हुआ.
जिले के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बाद में मारे गए नक्सली की पहचान भरदा गांव निवासी मानूराम नुरेटी (26) के रूप में की गई है. वहीं, मानूराम के परिजनों ने पुलिस के इस दावे का खंडन किया है कि वह नक्सली था. मानूराम के बड़े भाई व पुलिस में जवान रैनु राम नुरेटी ने कहा कि उनका भाई नक्सली नहीं था बल्कि उनका परिवार खुद नक्सली हिंसा का शिकार है.
नारायणपुर पुलिस के डीआरजी इकाई में आरक्षक के पद पर तैनात रैनु राम ने बताया कि उनके भाई मानूराम ने पुलिस के बस्तर फाइटर के लिए हो रही भर्ती में आरक्षक पद के लिए आवेदन किया था और उसकी तैयारी कर रहा था. मानूराम की पत्नी मनबती नुरेटी का कहना है कि उसका पति एक किसान था. उसके पास कभी हथियार नहीं था. मनबती ने बताया कि रविवार की रात खाना खाने के बाद मानूराम टहलने के निकला था. उसके हाथ में गुलेल (पक्षियों का शिकार करने के लिए लकड़ी और रबर से बना हथियार) था.
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मानूराम की पत्नी ने बताया कि ‘‘मानूराम ने मेरा स्वेटर और चप्पल पहना था.’’ मनबती ने पुलिस के दावे को झूठा बताया और कहा कि वह किसान हैं और उनके पास कभी हथियार नहीं था.
मनबती और अन्य ग्रामीणों ने न्याय की मांग को लेकर नारायणपुर जिले के कलेक्टर को पत्र भी लिखा है. मानूराम के परिजनों के दावे को लेकर नारायणपुर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर ने कहा इस तरह के आरोप नक्सलियों के दबाव में लगाए जाते हैं. चंद्राकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मारे गए नक्सली का भाई डीआरजी का आरक्षक है. वह पहले नक्सली संगठन में था बाद में वह पुलिस में शामिल हो गया. मानूराम ने शायद अपने भाई को नहीं बताया था कि वह नक्सली है. वह मुठभेड़ में मारा गया है. इस दौरान वहां अन्य नक्सली भी मौजूद थे. पुलिस ने घटनास्थल से एक हथियार भी बरामद किया है.’’