महिलाएं क्यों करवा रहीं नसबंदी? पांच साल में तीन लाख मामले...पुरुषों से दस गुना ज्यादा है ये आंकड़ा
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि परिवार नियोजन को लेकर चलाए गए अभियानों के बावजूद लोगों में नसबंदी को लेकर गलतफहमियां हैं.
![महिलाएं क्यों करवा रहीं नसबंदी? पांच साल में तीन लाख मामले...पुरुषों से दस गुना ज्यादा है ये आंकड़ा Chhattisgarh women sterilization 10 times higher than males three lakh women and 25 thousand men got birth control in 5 years महिलाएं क्यों करवा रहीं नसबंदी? पांच साल में तीन लाख मामले...पुरुषों से दस गुना ज्यादा है ये आंकड़ा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/29/60cb0c16a3e824073833729a6e112a161724933809923628_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
छत्तीसगढ़ में पिछले पांच सालों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में नसबंदी (Sterilization) के ज्यादा मामले सामने आए हैं. पांच साल में करीब तीन लाख महिलाओं ने नसबंदी करवाई है, पुरुषों के मुकाबले यह आंकड़ा 10 गुना ज्यादा है. देशभर में महिलाओं और पुरुषों को परिवार नियोजन के लिए नसबंदी को लेकर जागरुक किया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में इसे लेकर महिलाओं में ज्यादा जागरुकता देखने को मिली है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में सिर्फ 25 हजार पुरुषों ने ही नसबंदी करवाई है. राज्य की ग्रामीण और शहरी आबादी दोनों में ही नसबंदी को लेकर महिलाओं और पुरुषों के बीच यह अंतर देखा गया है. पांच साल में छत्तीसगढ़ की दो लाख 92 हजार 668 महिलाओं ने नसबंदी करवाई, जबकि सिर्फ 25,308 पुरुषों ने ही इसके लिए कदम उठाया.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि परिवार नियोजन को लेकर चलाए गए अभियानों के बावजूद लोगों में नसबंदी को लेकर गलतफहमियां हैं. पुरुषों को ऐसा लगता है कि इससे उनमें कमजोरी आएगी, लाइफस्टाइल में बदलाव होगा और यौन क्षमता कम हो जाएगी.
अधिकारी ने कहा कि इससे महिला या पुरुष किसी के भी सामान्य जीवन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. उन्होंने कहा कि कम शिक्षित और कम इच्छाशक्ति होने के कारण भी पुरुष बर्थ कंट्रोल के विकल्पों के लिए आगे नहीं आते हैं. अधिकारी ने कहा कि पुरुषों के लिए नसबंदी की प्रक्रिया बहुत साधारण है.
सरकार नसबंदी के लिए लोगों को प्रोत्साहन राशि भी देती है. नसबंदी कराने पर पुरुषों को तीन हजार रुपये और महिलाओं को दो हजार रुपये दिए जाते हैं. इसके अलावा, अगर नसबंदी के दौरान कोई दुर्घटना हो जाती है या वह फेल हो जाती है तो हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद सात दिन के अंदर कंपेनसेशन दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें:-
'लगता है उसने सुसाइड किया', ट्रेनी डॉक्टर के पिता को आरजी कर मेडिकल कॉलेज से आए थे 3 कॉल, सामने आईं ऑडियो क्लिप
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![अनिल चमड़िया](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/4baddd0e52bfe72802d9f1be015c414b.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)