छावला रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों को किया बरी, दिल्ली HC के फैसले को पलटा, निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा
सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल पुराने बलात्कार और हत्या के मामले में को दोषियों को बरी कर दिया है. 2014 में निचली अदालत ने मामले को 'दुर्लभतम' की श्रेणी का मानते हुए तीनों को फांसी की सजा दी थी.
![छावला रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों को किया बरी, दिल्ली HC के फैसले को पलटा, निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा Chhawla Rape Case Supreme Court acquits all three convicts Delhi HC had awarded death sentence ANN छावला रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने तीनों दोषियों को किया बरी, दिल्ली HC के फैसले को पलटा, निचली अदालत ने सुनाई थी मौत की सजा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2022/10/12/eabfda0d1b5711cea3cd014adc424c5a1665579916513575_original.png?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
SC On Chhawla Rape Case: सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला इलाके में एक 19 वर्षीय महिला के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पाने वाले तीन दोषियों को बरी कर दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 2014 में दोषियों को मौत की सजा बरकरार रखी थी. कोर्ट ने कहा था कि दोषियों के लिए किसी तरह की नरमी नहीं बरती जाएगी. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने 7 साल पुराने मामले में सोमवार (7 नवंबर) को दोषियों को बरी कर दिया है.
गुरुग्राम साइबर सिटी में काम करने वाली लड़की को 9/10 फरवरी, 2012 की रात को दिल्ली के कुतुब विहार में उसके घर के पास एक कार में तीनों ने अपहरण कर लिया था. उसका क्षत-विक्षत शव तीन दिन बाद रेवाड़ी के गांव रोधई के एक खेत से मिला था. शरीर पर कई चोटें थीं और उस पर कार के औजारों से लेकर मिट्टी के बर्तनों तक की वस्तुओं से हमला किया गया था. पुलिस ने बताया था कि रवि ने अपराध की साजिश रची, क्योंकि महिला ने रिश्ते के लिए उसके प्रपोजल को ठुकरा दिया था.
गाड़ी से पकड़ा था राहुल को
लड़की के अपहरण के समय के चश्मदीदों के बयान के आधार पर पुलिस ने लाल इंडिका गाड़ी की तलाश की. कुछ दिनों बाद उसी गाड़ी में घूमता राहुल पुलिस के हाथ लगा. उसने अपना गुनाह कबूल किया और अपने दोनों साथियों रवि और विनोद के बारे में भी जानकारी दी. तीनों की निशानदेही पर ही पीड़िता की लाश बरामद हुई थी.
2014 में हुई थी फांसी की सजा
डीएनए रिपोर्ट और दूसरे तमाम सबूतों से निचली अदालत में तीनों के खिलाफ केस निर्विवाद तरीके से साबित हुआ. 2014 में पहले निचली अदालत ने मामले को 'दुर्लभतम' की श्रेणी का मानते हुए तीनों को फांसी की सजा दी थी. बाद में दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा.
इस मामले में एमिकस क्यूरी बनाई गई थी. वरिष्ठ वकील सोनिया माथुर ने जजों से अनुरोध किया था कि वह इन दोषियों में सुधार आने की संभावना पर विचार करें. उन्होंने कहा था कि दोषियों में से एक 'विनोद' बौद्धिक अक्षमता से पीड़ित है. वह ठीक ढंग से सोच-विचार नहीं कर पाता. वरिष्ठ वकील ने कोर्ट से दोषियों के प्रति सहानुभूति भरा रवैया अपनाने का आग्रह किया था.
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)