Mid day Meal: बंगाल में चिकन पॉलिटिक्स, मिड-डे मील पर सरकार के खिलाफ विपक्ष क्यों आया साथ, समझिए
Mid day Meal Chicken: योजना ऐसे समय में शुरू की गई है जब अप्रैल-मई में राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं जिसमें सत्ताधारी टीएमसी और विपक्षी दल बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है.
West Bengal Mid day Meal: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य के स्कूलों के मिड-डे मील के लिए नया आदेश जारी किया है. इसमें मुताबिक राज्य के स्कूलों में अब जनवरी से अप्रैल तक चिकन और मौसमी फल खाने को दिया जाएगा. इसके लिए 371 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी गई है. ममता बनर्जी के इस फैसले के खिलाफ विपक्ष आवाज उठा रहा है और सभी एक सुर में नजर आ रहे हैं.
3 जनवरी को जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक स्कूल में बच्चों को पहले से मिल रहे चावल, आलू, दाल, सब्जी और अंडे के अलावा अब चिकन और मौसमी फल भी दिए जाएंगे. इसके लिए 371 करोड़ का बजट दिया गया है जिससे 1.16 करोड़ बच्चे लाभ पाएंगे.
कैसे होगा इस योजना में खर्च?
बता दें पीएम पोषण के तहत चलाई जा रही इस योजना में केंद्र और राज्य का अनुराच क्रमश: 60:40 का है. राज्य सरकार के नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 372 करोड़ रुपये की संपूर्ण राशि राज्य के हिस्से से दी जाएगी. योजना को जल्द ही लागू किया जाएगा जिसके तहत बच्चों को अतिरिक्त आइटम मिलने शुरू हो जाएंगे.
ये योजना ऐसे समय में शुरू की गई है जब अप्रैल-मई में राज्य में पंचायत चुनाव होने हैं जिसमें सत्ताधारी टीएमसी और विपक्षी दल बीजेपी के बीच कड़ा मुकाबला होने की उम्मीद है. पिछली बार पंचायत चुनाव में भारी मात्रा में हिंसक घटनाएं रिपोर्ट की गई थीं.
बीजेपी ने बताया वोट खरीदने की कोशिश
वरिष्ठ बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने योजना पर कहा सवाल यह है कि अचानक से राज्य सरकार को मिड-डे मील में चिकन और फल देने की जरूरत महसूस होने लगी. इसका मतलब साफ है कि सीएम ममता को स्थिति का अंदाजा हो गया है कि उनकी पार्टी चुनाव में बुरा प्रदर्शन करने जा रही है. सरकार अब लोगों का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए चिकन ऑफर कर रही है. ये चिकन और फल से वोट खरीदने की कोशिश है.
सीपीएम और कांग्रेस ने भी साधा निशाना
वरिष्ठ सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती ने भी राज्य सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा ये अच्छा है कि सरकार ने मिड-डे मील के लिए फंड बढ़ाया है. ये लोगों की बहुत पुरानी मांग थी. लेकिन असल सवाल ये है कि ये सरकार ने वाकई में खाने की गुणवत्ता सुधारने के लिए किया है या फिर चुनाव सामने हैं इसलिए फैसला हुआ है?
राज्य में कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा ये साफ है कि फैसला पंचायत चुनाव को ध्यान में रखकर लिया गया है लेकिन हम विरोध नहीं करेंगे क्योंकि हम बंगाल के लोगों के लिए अच्छी चीज चाहते हैं. हालांकि सरकार को ये सुनिश्चित करे कि इसमें भ्रष्टाचार न हो.
टीएमसी ने किया पलटवार
विपक्ष के सवाल उठाने पर सत्ताधारी टीएमसी सामने आई है उसने पलटवार किया. टीएमसी के राज्यसभा सांसद शांतनु सेन ने कहा सरकार के इस फैसले में राजनीति देखने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं सीपीएम से कहूंगा वे अपना मुंह बंद रखें क्योंकि उनकी सरकार में राज्य की स्कूली व्यवस्था को पूरी तरह से बरबाद कर दिया गया. वहीं बीजेपी को लेकर उन्होंने कहा उन्हें पहले अपनी सरकार के फैसले की आलोचना करनी चाहिए. हमने देखा है कि उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले किस तरह से पेट्रोल और डीजल की कीमतें किस तरह से (कम रखी गई) थीं. गुजरात चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करोड़ों के प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया था.
बंगाल के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने एक कदम आगे बढ़ते हुए केंद्र को ही सुझाव देते हुए अधिक फंड की मांग की ताकि ऐसी अच्छी योजनाओं का चलाया जा सके.
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