नई दिल्ली : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एयरसेल-मैक्सिस मनी लांड्रिंग मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम से फिर पूछताछ की. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि चिदंबरम सुबह- सुबह ईडी के दफ्तर पहुंचे. मनी लांड्रिंग निरोधक कानून के तहत उनके बयान को रिकार्ड किया गया.
यह चौथा मौका है जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से पूछताछ की गई. इससे पहले, उनसे 24 अगस्त को करीब छह घंटे तक पूछताछ की गई थी. जून में ईडी की ऐसी ही पूछताछ के बाद चिदम्बरम ने कहा था कि उन्होंने एजेंसी से जो कुछ कहा, वह पहले से ही सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है.
उन्होंने यह भी कहा था कि कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गयी है, उसके बाद भी जांच शुरु की गयी. उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘आधे से ज्यादा समय सवालों के जवाब को बिना किसी त्रुटि के टाईप करने, बयान को पढ़ने और उस पर दस्तखत करने में लगाया गया.’’चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से ईडी ने दो बार पूछताछ की है. सीबीआई ने जुलाई महीने में इस मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था. ईडी अगले 15 दिनों में इस संबंध में अभियोजन पत्र दायर कर सकता है.
एयरसेल-मैक्सिस मामला विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआईपीबी) द्वारा मेसर्स ग्लोबल कम्युनिकेशन होल्डिंग सर्विसेज लि. को एयरसेल में निवेश की मंजूरी से जुड़ा़ है.
सुप्रीम कोर्ट ने 12 मार्च को जांच एजेंसियों सीबीआई तथा ईडी को एयरसेल मैक्सिस मामले में कथित मनी लांड्रिंग समेत 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में छह महीने में जांच पूरी करने को निर्देश दिया था.
एजेंसी ने कहा था कि एयरसेल-मैक्सिस एफडीआई मामले में एफआईपीबी मंजूरी मार्च 2006 में चिदंबरम ने दी थी. हालांकि, वह केवल 600 करोड़ रुपये तक के निवेश को ही मंजूरी दे सकते थे. इससे ज्यादा निवेश की मंजूरी के लिए मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति से अनुमति लेना आवश्यक है.
इस मामले में 80 करोड़ डॉलर (3,500 करोड़ रुपये) की मंजूरी दी गई. इसलिए सीसीईए की मंजूरी जरूरी थी. ईडी इस बात की जांच कर रहा है कि किन परिस्थितियों में वित्त मंत्री द्वारा 2006 में एफआईपीबी की मंजूरी दी गई.