नई दिल्ली:  मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रह्मण्यम ने सोमवार को कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर पड़ने की आशंका नहीं है लेकिन आगे विकास की रफ्तार में तेजी लाने के लिए वित्तीय और मौद्रिक सहायता की जरूरत होगी. उन्होंने साथ ही कहा कि महामारी से उत्पन्न परिस्थितियों को देखते हुए यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि क्या मौजूदा वित्तीय वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर दोहरे अंक में (दस या दस प्रतिशत से ऊंची) होगी. इस साल जनवरी में जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 में मार्च 2022 में समाप्त होने वाले मौजूदा वित्तीय वर्ष में 11 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया था.


सुब्रह्मण्यम ने कहा, "महामारी को लेकर बनी हुई अनिश्चितता को देखते हुए कोई वास्तविक संख्या बताना बहुत मुश्किल होगा लेकिन हमारा आकलन यह है कि बहुत बड़ा असर नहीं पड़ेगा खासकर यह ध्यान में रखते हुए कि हमने आर्थिक सर्वेक्षण और बजट दोनों में जो अनुमान लगाए थे वे बहुत संयमित अनुमान थे."


गौरतलब है कि महामारी की दूसरी लहर की चपेट में आने से ठीक पहले आखिरी तिमाही में वृद्धि दर के जोर पकड़ने के बाद मार्च 2021 में समाप्त वित्तीय वर्ष में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट 7.3 प्रतिशत तक सीमित रह गयी. पहले इससे बड़ी गिरावट होने के अनुमान किए गए थे. आर्थिक सर्वेक्षण में वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए जीडीपी में आठ प्रतिशत की कमी आने का अनुमान लगाया गया था.


सुब्रह्मण्यम ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर मई में अपने चरम पर पहुंची और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए स्थानीय एवं राज्य वार प्रतिबंधों से मौजूदा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि दर गिरने का थोड़ा खतरा है. उन्होंने कहा कि आगे अर्थव्यवस्था के लिए वित्तीय और मौद्रिक सहायता महत्वपूर्ण होगी.


उन्होंने कहा, "सरकार के ज्यादा व्यय और सकल निर्यात में तेजी के सहारे पिछले वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में जीडीपी की वृद्धि दर ठोस सुधार हुआ था." सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दूसरी लहर की रफ्तार और स्तर से अर्थव्यवस्था पर असर की आंशका है क्योंकि अर्थव्यवस्था अब भी पिछले साल आपूर्ति एवं मांग पर पड़े असर से उबर रही थी.


उन्होंने टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाने और कोविड उचित व्यवहार का पालन करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि इससे कोविड-19 की एक और लहर की आशंका को कम करने में मदद मिलेगी. सुब्रह्मण्यम ने मुद्रास्फीति को लेकर कहा कि इसके अनुमानित सीमा में रहने की उम्मीद है और यह निर्धारित सीमाओं से ऊपर नहीं नहीं जानी चाहिए. उन्होंने साथ ही कहा कि सामान्य मानसून की उम्मीद के साथ इस वित्तीय वर्ष में खाद्यान्नों का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है.