चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में CJI का रोल खत्म करने वाला बिल राज्यसभा में पेश, विपक्ष ने कहा- खतरनाक
राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच पेश किए गए इस बिल में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और आयुक्तों के चयन के लिए समिति में चीफ जस्टिस के स्थान पर एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रस्ताव किया गया है.
CEC Selection Bill: केंद्र ने गुरुवार (10 अगस्त) को राज्यसभा में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन से संबंधित एक बिल पेश किया. विधेयक के मुताबिक, भविष्य में मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति करेगी. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री भी इस समिति के सदस्य होंगे.
ये विधेयक सुप्रीम कोर्ट की ओर से मार्च में दिए गए उस आदेश के महीनों बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति के लिए संसद की ओर से कानून न बनाए जाने तक प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और चीफ जस्टिस की सदस्यता वाली समिति की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा इन चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी.
बिल में है ये प्रावधान
इस विधेयक में मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए पैनल में भारत के चीफ जस्टिस की जगह एक कैबिनेट मंत्री को शामिल करने का प्रावधान है, जिससे पोल पैनल के सदस्यों की नियुक्तियों में सरकार को अधिक नियंत्रण प्राप्त करने की अनुमति मिलेगी.
राज्यसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 पेश किया. सभापति, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, जिन्हें प्रधानमंत्री की ओर से नामित किया जाएगा, सीईसी और ईसी का चयन करेंगे. अगर लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है तो सदन में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी के नेता को नेता प्रतिपक्ष माना जाएगा.
विपक्षी दलों ने किया विरोध
ये विधेयक कांग्रेस, तृणमूल, आप और वाम दलों सहित विपक्षी दलों के हंगामे के बीच पेश किया गया, जिन्होंने सरकार पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश को कमजोर करने और पलटने का आरोप लगाया. हालांकि, बीजेपी ने कहा कि सरकार विधेयक लाने के अपने अधिकार में है, सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़ें.
अरविंद केजरीवाल का पीएम पर निशाना
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीएम मोदी की आलोचना करतते हुए दावा किया कि ये कदम चुनावों की निष्पक्षता को प्रभावित करेगा. अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करने का आरोप लगाया और कहा कि यह बहुत खतरनाक स्थिति है.
उन्होंने लिखा कि मैंने पहले भी कहा था कि प्रधानमंत्री देश की सर्वोच्च अदालत की बात नहीं मानते हैं. उनका संदेश स्पष्ट है- सुप्रीम कोर्ट उनकी पसंद के खिलाफ जो भी फैसला देगा, वह उसे पलटने के लिए संसद के जरिये कानून लेकर आएंगे. अगर प्रधानमंत्री कोर्ट के फैसले का पालन नहीं करते हैं, तो यह बहुत खतरनाक स्थिति है.
"कोर्ट का फैसला पलटा"
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि कोर्ट ने एक निष्पक्ष समिति बनाई थी, जो निष्पक्ष निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति करेगी. प्रधानमंत्री ने कोर्ट का फैसला पलटते हुए एक समिति गठित की है, जो उनके नियंत्रण में रहेगी और वह इसके जरिये अपनी पसंद के व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकते हैं. इससे चुनावों की निष्पक्षता पर असर पड़ेगा. पीएम एक के बाद एक अपने फैसलों से भारतीय लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं.
दिल्ली के सीएम ने कहा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए प्रस्तावित समिति में बीजेपी के दो और कांग्रेस का एक सदस्य होगा. उन्होंने आरोप लगाया कि जाहिर तौर पर नियुक्त होने वाला निर्वाचन आयुक्त बीजेपी के प्रति वफादार होगा. आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि दिल्ली सेवा विधेयक के बाद केंद्र सरकार एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट रही है.
कांग्रेस ने भी किया विरोध
कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने सरकार पर निशाना साधा और इसे निर्वाचन आयोग को प्रधानमंत्री के हाथों की कठपुतली बनाने का प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा फैसले के बारे में क्या कहना है जिसके तहत एक निष्पक्ष समिति की आवश्यकता है? प्रधानमंत्री को पक्षपाती निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है? ये एक असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित विधेयक है. हम हर मंच पर इसका विरोध करेंगे.
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सदस्य साकेत गोखले ने कहा कि बीजेपी खुलेआम 2024 के चुनावों के लिए धांधली कर रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने एक बार फिर बेशर्मी से सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कुचल दिया और आयोग को अपनी कठपुतली बना रही है.
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