Centre Vs Judiciary: चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर होंगे चीफ जस्टिस? संसद में बिल पेश करेगी सरकार
Centre Vs Judiciary Row: कोलेजियम को लेकर पिछले लंबे समय से चल रहे विवाद के बीच केंद्र सरकार एक बिल पेश करने की तैयारी में है, जिसके बाद सीजेआई ECI की नियुक्ति प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे.
Centre Vs Judiciary Row: सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव की खबरें पिछले दिनों खूब चर्चा में रहीं, तत्कालीन कानून मंत्री किरेन रिजिजू के बयानों ने इस विवाद को और ज्यादा बढ़ा दिया था, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट को नसीहत देते हुए कई बयान दिए. इसी बीच अब सरकार और न्यायपालिका के बीच एक नया विवाद सामने आ सकता है, बताया गया है कि केंद्र सरकार उस कानून को आगे बढ़ाने की तैयारी कर रही है, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश देश के मुख्य चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे. इसे लेकर राज्यसभा में बिल पेश किया जा रहा है.
क्या कहता है सरकार का बिल
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 आज (10 अगस्त) राज्यसभा में आएगा, जिसमें प्रस्ताव है कि चुनाव आयोग के बड़े अधिकारियों को एक पैनल की सिफारिश पर राष्ट्रपति की तरफ से नियुक्त किया जाएगा. इस पैनल में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और पीएम की तरफ से नामित एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था फैसला
ये बिल सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को कमजोर करता है, जिसमें एक संविधान पीठ ने कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्तों और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सलाह पर की जानी चाहिए. यानी पैनल में सीजेआई को रखने की बात कही गई थी, लेकिन इस कानून के आने के बाद सीजेआई पैनल से बाहर हो जाएंगे. इस फैसले में कहा गया था कि तब तक यही व्यवस्था लागू रहेगी, जब तक संसद में इसे लेकर कानून नहीं बनाया जाता.
केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव
पिछले कुछ वक्त में केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच टकराव की स्थिति देखी गई है, फिर चाहे वो कॉलेजियम की सिफारिशों को नहीं मानना हो या फिर केंद्रीय मंत्रियों की टिप्पणियां, हर बार ये विवाद लोगों के सामने खुलकर आया. हाल ही में केंद्र सरकार ने बिल में संशोधन कर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को शून्य कर दिया, जिसमें दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार दिए गए थे.