Judiciary System: चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY. Chandrachud) ने मंगलवार (6 दिसंबर) को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी से परे भी भारत बसता है और जिला स्तरीय न्यायपालिका पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि न्याय के अधिकार को साकार करने का एक महत्वपूर्ण घटक यह सुनिश्चित करना है कि पर्याप्त न्यायिक ढांचा हो जो जिला स्तरीय न्यायपालिका से शुरू होगा. दिल्ली हाई कोर्ट के ‘एस’ ब्लॉक भवन के उद्घाटन समारोह में चीफ जस्टीस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि भारत राजधानी से परे भी बसता है.’’


उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक काल में हमारी इमारतों का वास्तुशिल्प न्याय पाने वालों के मन में डर पैदा करने की भावना से बनाया गया था और न्याय देने वाले और न्याय जिनके लिए किया जाता है, उनके बीच विभाजन के लिए ऐसा किया गया. चीफ जस्टीस ने कहा कि न्याय को लेकर समझ अब काफी बदल गई है और अब इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि लोग हम तक पहुंचें, उसके बजाय लोगों तक पहुंचा जाए. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘‘यह इमारत आधुनिक को लोकतांत्रिक से जोड़ती है और दिल्ली हाई कोर्ट अपने आप में न्यायिक व्यवस्था के गलियारों में हवा का झोंका है.’’


अदालतों में लंबित मामलों पर बोले कानून मंत्री किरेन रिजिजू


कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि अलग-अलग अदालतों में लंबित मामलों की संख्या अगले कुछ महीनों में पांच करोड़ के आंकड़े को छू सकती है. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट और उच्च न्यायालयों में कमी आने की संभावना है, असली चुनौती निचली अदालतों में है.


चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की उपस्थिति में मंत्री  रिजिजू ने कहा कि लंबित मामलों की संख्या पांच करोड़ के निशान की ओर बढ़ रही है और निचली अदालतों में अपर्याप्त बुनियादी ढांचे के मुद्दे को हरी झंडी दिखाई. कुछ महीने पहले तक 4.83 करोड़ लंबित मामले आंका गया था.


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