नई दिल्ली: "आप ने अब्दुल्ला का नाम सुना है?" सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जे एस खेहर ने स्वतंत्रता दिवस समारोह में भाषण की शुरुआत इसी सवाल से की. सवाल सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आर एस सूरी से था, जिन्होंने अपने भाषण में आज़ादी के गुमनाम सिपाहियों के लिए सम्मान की बात कही थी.
चीफ जस्टिस ने अपने सवाल का खुद ही जवाब दिया, "अब्दुल्ला एक वहीदी मुसलमान था. 28 सितंबर 1871 को उसने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जॉन पैक्स्टन नॉर्मन को चाकू मारा. जज अगले दिन मर गए. अब्दुल्ला भागा नहीं, गिरफ्तारी दी. वो ब्रिटिश सरकार की भेदभाव भरी नीतियों से नाराज़ था. उसने अपने बयान में ये बताया था."
जस्टिस खेहर ने इससे आगे की बात भी बताई. उन्होंने कहा,"इस घटना के बाद भारत के गवर्नर जनरल मायो ने कहा कि वो सब वहीदी मुसलामानों को खत्म कर देंगे. कुछ दिनों बाद मायो बर्मा से लौटते हुए अंडमान में रुके. वहां शेर अली अफरीदी का नाम के शख्स ने 8 फरवरी 1872 उन्हें चाकू से मार दिया. शेर अली भी वहीदी मुस्लिम था. उसे सेल्युलर जेल में फांसी दी गई. उसने फांसी से पहले मुस्लिम और हिन्दू कैदियों को मिठाई खिलाई."
चीफ जस्टिस ने कहा है कि जब उन्होंने एक दिन किसी से शेर अली अफरीदी के बारे में पूछा तो वो पाकिस्तान के क्रिकेटर शाहिद अफरीदी के बारे में बताने लगा. गवर्नर जनरल को मारने वाले को लोग आज पहचानते भी नहीं.
भारत में नागरिकों को मिले अधिकारों का किया जिक्र
इसके बाद जे एस खेहर भारत में नागरिकों को हासिल अधिकारों पर बात करने लगे. उन्होंने बताया कि उनका जन्म केन्या में हुआ, जो कि तब ब्रिटिश उपनिवेश था. वहां ब्रिटिश प्रथम श्रेणी के नागरिक माने जाते थे. फिर अमेरिकी और यूरोपियन लोगों का दर्जा था. इनके बाद अफ्रीकी और सबसे आखिर में एशियाई. इसी दर्जे के हिसाब से वहां नौकरी और दूसरी सुविधाओं पर हक मिलता था.
चीफ जस्टिस ने कहा, "आज हमारे राष्ट्रपति दलित बिरादरी से हैं. पीएम वो हैं जो कभी चाय बेचते थे. मैं बिना किसी भेदभाव के इस देश में चीफ जस्टिस बन सका."
रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में हुआ कार्यक्रम
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में हो रहे कार्यक्रम में चीफ जस्टिस ने कहा, "पिछले सप्ताह मैं एक शादी में चंडीगढ़ गया. वहां मैंने अपने बेटे की तरफ से तोहफे में मिली टीशर्ट पहनी. उस पर लिखा था 'प्राउड टू बी ए सिख, बाय बर्थ एंड बाय चॉइस.' मुझे बहुत अच्छा लगा. ये देश आपको अपने धर्म पर, अपने क्षेत्र पर गर्व करने का मौका देता है. हमें इस देश पर गर्व करना चाहिए."
पिछले साल इसी कार्यक्रम में तत्कालीन चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर और कानून मंत्री के बीच खिंचाव नज़र आया था. जस्टिस ठाकुर ने हाई कोर्ट में जजों की कमी का मसला उठाया था. उन्होंने इशारों में सरकार पर न्यायपालिका करने की उपेक्षा का आरोप लगा दिया था. इसके उलट इस बार चीफ जस्टिस और कानून मंत्री में बेहतर तालमेल नज़र आया. कानून मंत्री ने कहा कि इस साल अब तक 75 जज नियुक्त हो चुके हैं. साल की अंत तक ये संख्या 125 के पार जा सकती है.