झारखंड: CM हेमंत सोरेन बोले- 3 लाख लोगों ने झारखंड लौटने के लिए कराया पंजीकरण
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रेल यात्रा का 15 प्रतिशत किराया राज्य से वसूलने के लिए केंद्र की आलोचना की. उन्होंने कहा कि रेलवे के लिए अत्यधिक राजस्व का स्रोत होने के बावजूद राहत नहीं दी गई.
नई दिल्ली: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि लॉकडाउन के कारण विभिन्न राज्यों में फंसे झारखंड के करीब 3 लाख लोगों ने घर वापसी के लिए पंजीकरण कराया है. उन्हें बिना किसी ‘‘आनाकानी’’ के वापस लाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि इनमें से ज्यादातर लोग मजदूर हैं. रेलवे के सूत्रों ने बताया कि झारखंड इकलौता राज्य है जिसने ‘श्रमिक विशेष’ ट्रेनों के जरिए दूसरे राज्यों से अपने लोगों को बुलाने के लिए अग्रिम भुगतान कर दिया है.
सोरेन ने रेल यात्रा का 15 प्रतिशत किराया राज्य से वसूलने के लिए केंद्र की आलोचना करते हुए कहा कि रेलवे के लिए अत्यधिक राजस्व का स्रोत होने के बावजूद झारखंड को कोई राहत नहीं दी गई.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे करीब 20,000 प्रवासी मजदूर और छात्र पहले ही राज्य में लौट चुके हैं. झारखंड सरकार ने फंसे हुए प्रवासियों की वापसी के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी है. सोरेन ने कहा, ‘‘करीब चार-पांच दिन पहले जब से हमने ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू की है तब से करीब 3 लाख लोगों ने घर वापसी के लिए पंजीकरण कराया है.’’
हालांकि उन्होंने कहा कि जिसने भी पंजीकरण कराया है जरूरी नहीं कि कुछ आर्थिक गतिविधियों के फिर से शुरू होने के कारण वे सब लौटें. झारखंड के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जो भी आना चाहते हैं, हमारी सरकार उन्हें वापस लाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है. हम खुले दिल से उनका स्वागत करेंगे और उन्हें घर लेकर जाएंगे इसमें कोई आनाकानी नहीं है.’’
सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार की सबसे बड़ी चुनौती सभी एहतियात बरतते हुए छोटी-सी अवधि में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को वापस लाना है.
उन्होंने कहा, ‘‘हम एक स्टेशन पर केवल एक ट्रेन को अनुमति दे सकते हैं और लोगों को वहां से बसों से दूसरे इलाकों तक जाना पड़ेगा. हमने स्टेशन निर्धारित किए हैं जहां ट्रेन आ रही हैं. हमारे पास सूची है कि लोगों को कहां जाना हैं.’’
उन्होंने कहा कि झारखंड संसाधनों और आर्थिक मदद के लिए ज्यादातर केंद्र पर निर्भर है और उसे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा घोषित किए गए शुरुआती पैकेज से लगभग 250 करोड़ रुपये मिलने के बाद कोई वित्तीय मदद नहीं मिली है.
उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्यों को दूसरा वित्तीय पैकेज देने में देरी की है जिससे कई काम अटक गए हैं और उन्होंने इस संदर्भ में कहा, ‘‘बारात जाने के बाद खिचड़ी पकने से क्या फायदा.’’
प्रवासी मजदूरों को लाने के लिए रेलवे द्वारा राज्यों से 15 फीसदी किराया वसूलने पर सोरेन ने कहा, ‘‘उन्हें कौन समझाएगा कि वे विदेश से लोगों को विमानों में वापस ला रहे हैं और देश में मजदूरों को ले जाने के लिए किराया वसूल रहे हैं जिनके पास खाने के भी पैसे नहीं हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने रेल मंत्री पीयूष गोयल से अनुरोध किया था कि रेलवे झारखंड से अधिकतम राजस्व कमाता है तो कम से कम उसे कुछ राहत दी जाए लेकिन कोई मदद नहीं की गई.’’
सोरेन ने कहा कि उन्हें बड़ी संख्या में लोगों के लौटने और उसके कारण कोरोना वायरस के मामले बढ़ने का डर नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर 1,000 या 2,000 लोग कोविड-19 से संक्रमित पाए जाते हैं तो इससे रास्ता स्पष्ट हो जाएगा और राज्य इसे संभाल लेगा. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने मनरेगा के लिए 3 योजनाएं शुरू की ताकि कामगारों को वेतन मिल सकें.
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