नई दिल्ली: चीन से चल रही तनातनी के बीच भारतीय सेना ने महू स्थित वॉर कॉलेज में 'डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी' पर एक बेहद ही अहम  सेमिनार का आयोजन किया. इस सेमिनार में खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे भी मौजूद रहे. आपको बता दें कि आर्टिफिशयल इंटेलीजेंस, रोबोट्स, साइबर, 5जी, क्लॉउड कम्पयुटिंग और स्पेस तकनीक को डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी की कैटेगरी में रखा जाता है, जिसमें चीनी सेना को बड़ी माहरत हासिल है.


ये सेमिनार ऐसे समय में आयोजित किया गया जब एक दिन पहले ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने दो टूक कह दिया कि अगर चीन के साथ बातचीत फेल हुई तो भारत का सैन्य कारवाई का विकल्प खुला हुआ है.


इस‌ सेमिनार में बोलते हुए थलसेनाध्यक्ष जनरल नरवणे ने साफ तौर पर कहा कि मौजूदा तकनीक को सेना में सम्मलित करने की बेहद जरूरत है. इसके तहत मौजूदा हथियार और सैन्य साजो सामान को तकनीकी तौर से अपग्रेड किया जा रहा है. साथ ही इस बात की भी जरूरत है कि नई तकनीकों को ढूंढकर सेना में शामिल किया जाए, फिर भले ही वे 'दुधारी तलवार' ही क्यूं ना हों.


थलसेना ने सम्मेलन के बाद मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि महू (मध्य प्रदेश) स्थित वॉर कॉलेज में दो दिवसीय (24-25 अगस्त) सेमिनार का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन की मुख्य थीम था, 'इम्पेक्ट ऑफ डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी ऑन फाइटिंग फिलोसोफी इन फ्यूचर कॉन्फिलिक्ट्स'.


थलसेना के प्रवक्ता, कर्नल अमन आनंद के मुताबिक, आज के समय में वॉरफेयर (युद्धकला) में काफी बदलाव आ चुका है. आज के समय में 'टेक्नोलॉजी की सुनामी' आ चुकी है, जिसके चलते भविष्य के युद्ध के लिए सेनाओं को खुद में बदलाव लाने होंगे. इस सुनामी में वॉरफेयर के नए परिदृश्य तो जुड़ ही गए हैं डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी यानि हानिकारक तकनीक भी शामिल है. इसी के लिए भारतीय सेना ने वॉर कॉलेज में इस सेमिनार का आयोजन किया.


यहां पर ये बात दीगर है कि डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी में चीनी सेना को महारत हासिल है‌ यानि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (जैसे ड्रोन-स्वार्मिंग), रोबोट्स, क्लॉउड कम्पयूटिंग, ऑगमेंटेड-वर्चुयल रिएलिटी, बिग डाटा एनेलेटिक्स, क्वाउंटम कम्पयुटिंग, 5-6जी, साइबर वॉरफेयर और स्मॉल सैटेलाइट्स (स्पेस). माना जाता है कि चीनी सेना परपंरगत-युद्ध यानि आमने सामने के युद्ध में इतनी परिपक्व नहीं है इसीलिए तकनीक के सहारे युद्ध लड़ने में विश्वास रखती है.


चीन की इस डिसरप्टिव टेक्नोलॉजी को देखते हुए ही भारतीय सेना भी अपने आप को टेक्नोलॉजी-वॉरफेयर के लिए तैयार कर रही है. उसी कड़ी में वॉर कॉलेज में इस सेमिनार का आयोजन किया गया. कोविड प्रोटोकॉल्स को देखते हुए इस सेमिनार को वेबिनार का रूप भी दिया गया और एक साथ 54 अलग अलग लोकेशन्स पर 82 जगहों पर आयोजित किया गया. इस सम्मेलन में सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साथ टेक्नोक्रेट्स, एकेडेमिशियन और स्पेशलिस्ट व्यक्तियों ने हिस्सा लिया. सम्मेलन में थलसेना की ट्रेनिंग कमान के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने भी शिरकत की.


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