Chief of Defence Staff General Anil Chauhan: भारत की परमाणु शक्ति की विशिष्टता पहले प्रयोग नहीं करने और बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई के सिद्धांत पर आधारित है. प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) अनिल चौहान ने बुधवार (26, जून) को यह बात कही. एक संगोष्ठी में अपने संबोधन में उन्होंने पारंपरिक युद्ध की बदलती प्रकृति और विशेषताओं तथा विश्व के विभिन्न भागों में देखी जा रही भू-राजनीतिक उथल-पुथल पर प्रकाश डाला.


रक्षा मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने इस बात पर बल दिया कि परमाणु हथियारों से होने वाला खतरा एक बार फिर भू-राजनीतिक परिदृश्य में केंद्रीय भूमिका में आ गया है. 


सीडीएस अनिल चौहान ने क्या कहा?


बयान में कहा गया कि जनरल चौहान ने दोहराया कि भारत की परमाणु शक्ति की विशिष्टता पहले प्रयोग नहीं करने और व्यापक जवाबी कार्रवाई के सिद्धांत पर आधारित है. उन्होंने यह टिप्पणी ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ (सीएपीएस) की ओर से आयोजित संगोष्ठी में ‘परमाणु रणनीति: समकालीन विकास और भविष्य की संभावनाएं’ विषय पर भाषण देते हुए की.


सीडीएस अनिल चौहान ने बुनियादी ढांचे की सुरक्षा पर दिया जोर


सीडीएस अनिल चौहान ने गहन विचार, नए सिद्धांतों के विकास, प्रतिरोध की पुनःकल्पना और ‘परमाणु सी4आई2एसआर’ (कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर, आसूचना, सूचना, निगरानी और टोह) बुनियादी ढांचे की सुरक्षा की आवश्यकता पर बल दिया. भारत के 1998 में पांच परमाणु परीक्षण किए जाने के कुछ महीनों बाद, सरकार ने एक परमाणु सिद्धांत जारी किया.


क्या कहता है भारत का सिद्धांत?


1999 में जारी किए गए सिद्धांत में भारत ने पहले प्रयोग न करने की नीति घोषित की, जिसमें अनिवार्य रूप से कहा गया था कि हम पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने वाला देश नहीं होंगे. साथ ही, नीति में कहा गया है कि भारत के पास किसी भी परमाणु हमले के जवाब में जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार है.


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