बीएचयू कांड: कमिश्नर की रिपोर्ट के बाद चीफ प्रॉक्टर का इस्तीफा, VC कब देंगे?
23-24 सितंबर की रात बीएचयू में छात्र-छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन बाहरी ताकतों पर इल्जाम लगा रहा था. लेकिन वाराणसी कमिश्नर की रिपोर्ट ने यूनिवर्सिटी के दावों पोल खोल दी.
नई दिल्ली: बीएचयू में बवाल के 72 घंटे बाद विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर ओएन सिंह ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. विश्वविद्यालय ने उनका इस्तीफा मंजूर भी कर लिया है.
कमिश्नर की रिपोर्ट ने खोली दावों की पोल 23-24 सितंबर की रात बीएचयू में छात्र-छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन बाहरी ताकतों पर इल्जाम लगा रहा था. लेकिन वाराणसी कमिश्नर की रिपोर्ट ने यूनिवर्सिटी के दावों पोल खोल दी.
कमिश्नर की रिपोर्ट में क्या कहा गया ? वाराणसी के कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट में पूरे मामले के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन को दोषी ठहराया है. कमिश्नर की रिपोर्ट के मुताबिक छात्राओं की मांगें जायज थीं. कोई प्रशासनिक अधिकारी अगर मौके पर पहुंचता तो हिंसा नहीं होती. रिपोर्ट में लाठीचार्ज के लिए प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों को जिम्मेदार ठहराया है.
कौन होता है प्रॉक्टर? चीफ प्रॉक्टर विश्वविद्यालय का प्रशासनिक मुखिया होता है जिसके जिम्मे यूनिवर्सिटी की सुरक्षा के साथ-साथ छात्र-छात्राओं की सुरक्षा का भी जिम्मा होता है. कमिश्नर की रिपोर्ट ही चीफ प्रॉक्टर ओ एन सिंह के इस्तीफे की वजह बनी.
क्या कुलपति भी इस्तीफा देंगे? चीफ प्रॉक्टर के इस्तीफे के बाद अब सवाल है कि विश्वविद्यालय का मुखिया होने के नाते क्या कुलपति गिरिश चंद्र त्रिपाठी भी पूरे मामले की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देंगे? वीसी के अभी तक के बयनों और व्यवहार पर नजर डालें तो साफ पता चलता कि वो अभी कुछ और रिपोर्ट के इतजार में हैं.सरकार ने दिए BHU हिंसा की न्यायिक जांच के आदेश उत्तर प्रदेश सरकार ने वाराणसी के काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में हुए घटनाक्रम की न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं. यह जानकारी प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एवं राज्य सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने दी.
क्या हुआ था बीएचयू में? बीएचयू में विवाद छात्राओं की सुरक्षा को लेकर ही तब शुरू हुआ जब 21 सितंबर को फाइन आर्ट्स की एक छात्रा से कैंपस में छेड़छाड़ हुई. छात्रा की शिकायत के बावजूद आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
विरोध में 22 सितंबर को छात्राओं ने विश्वविद्यालय में धऱना शुरू कर दिया. 23 सितंबर को कुलपति आवास का घेराव करने जा रही छात्राओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. छात्राओं पर लाठीचार्ज से हो रही किरकिरी से बचने कि लिए विश्वविद्यालय हर रोज नई दलील दे रहा है.