मुंबईः फोन टेप मामले में मुख्य सचिव सीताराम कुंटे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सौंपी रिपोर्ट में कहा है कि 'रश्मि शुक्ला ने जिस वक़्त फोन टैपिंग की रिपोर्ट सौंपी थी, उस वक्त पुलिस अधिकारियों के कोई भी ट्रांसफर नहीं किए गए थे. वहीं साल 2020 में कुछ अपवाद छोड़कर सभी ट्रांसफर पुलिस establishment board की सिफारिश के आधार पर और सभी सदस्यों के एकमात्र के आधार पर किए गए हैं.'


टॉप सिक्रेट डॉक्यूमेंट हुआ लीक


दरअसल 25 अगस्त 2020 को तत्कालीन डीजीपी को इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने जो रिपोर्ट सबमिट की थी वह मीडिया में लीक होने की बात सामने आई है. साथ ही एक पेन ड्राइव भी होने की बात भी सामने आई है लेकिन जिस वक्त डीजीपी को यह रिपोर्ट सौंपी गई थी, उस वक्त कोई पेनड्राइव नहीं दिया गया था. यह एक टॉप सिक्रेट डॉक्यूमेंट था. फिलहाल यह कहां से लीक हुआ इसके पीछे क्या मंशा थी, यह पूरा मामला गंभीर है.


रिपोर्ट लीक होने की होगी जांच 


लिहाजा इस पूरे मामले की जांच की जाएगी इस रिपोर्ट के लीक हो जाने से टाइप किए गए कई अधिकारियों की प्राइवेसी भी भंग होने का खतरा है साथ ही बिना वजह उनकी बदनामी हुई है. इसके साथ ही रिपोर्ट में बताए गए ट्रांसफर की तथाकथित निर्णय वह असल में लिए गए सरकारी निर्णय में समानता नहीं है.


बता दें कि दिनांक 2/9/2020 से 28/10/2020 के दौरान आईपीएस अधिकारियों की रूटीन ट्रांसफर पुलिस establishment मंडल के तहत सभी के एक मत से और उपरोक्त सिफारिश से प्रशासन ने फैसले लिए हैं. वहीं रश्मि शुक्ला ने सरकार की छवी को धोखा पहुंचाने के शक से कुछ लोगों के फोन टैपिंग करने की इजाजत ली.


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