मुंबई: पुलिस ने 15 साल की लड़की की शादी रोकी, दादी बोलीं- हमारे पास पालने के लिए पैसे नहीं
मुंबई शहर में साल 2016 से 2019 के बीच आधिकारिक रूप से बाल विवाह का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. साल 2020 में 7 मामले किए गए दर्ज.डब्ल्यूसीडी के मुताबिक इस साल महामारी और उसके बाद के आर्थिक नुकसान की वजह से कई परिवार अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कम उम्र में करने को मजबूर हुए हैं.
देश की आर्थिक नगरी मुंबई के शिवाजी नगर में एक दादी अपनी 15 साल की पोती की शादी करवा रही थी. लेकिन एक सामाजिक कार्यकर्ता की सूचना के बाद डब्लयूसीडी और पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शादी को रूकवा दिया. वहीं नाबालिग पोती की शादी करवाने वाली दादी का कहना है कि कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से गुजारा करना काफी मुश्किल हो गया है.वह पाई-पाई को मोहताज हैं इस वजह से ही वह अपनी पोती की शादी कम उम्र में करवा रही थी.
आर्थिक तंगी से परेशान थी दादी
बाल संरक्षण अधिकारी प्राजक्ता देसाई ने बताया कि, दसवीं क्लास में पढ़ने वाली 15 साल की लड़की की शादी कॉल सेंटर में काम करने वाले एक 23 साल के एक शख्स से की जा रही थी. उन्होंने बताया कि 69 वर्षिया लड़की की दादी, उसे और उसके बड़े भाइयों का पालन-पोषण करने में असमर्थ थी. वह दो वक्त की रोटी के लिए शिवाजी नगर की सड़कों पर भीख मांग रही थी. उन्होंने बताया कि, “लड़की के पिता की मृत्यु महामारी से ठीक पहले हुई थी और उसकी मां की भी कुछ साल पहले मृत्यु हो गई थी. कोरोना काल में दादी को कोई घरेलू काम भी नहीं मिल रहा था इस वजह से वह अपनी नाबालिग पोती की शादी करने को मजबूर हुई थी. ”
नाबालिग लड़की को पढ़ाई जारी रखने के लिए कहा गया
बता दें कि पिछले हफ्ते सीडब्ल्यूसी के सामने किशोरी को पेश भी किया गया था. उसे ऑनलाइन क्लासेज के जरिए बीएमसी स्कूल में अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए कहा गया है. डब्ल्यूसीडी के अधिकारियों ने लड़की को शिक्षा और वित्तीय सहायता का आश्वासन भी दिया है. वहीं सीडब्ल्यूसी इस बात का भी ध्यान रखेगी कि उसकी शादी का दूसरा प्रयास न किया जाए.
दादी के खिलाफ केस दर्ज
वहीं तिलक नगर पुलिस ने दादी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. मुंबई उपनगरों में डिप्टी डब्लयूसीडी अधिकारी शोभा शेलार ने बताया कि, "जब हम शादी समारोह में पहुंचे तो हमें परिवार की काउंसलिंग करनी पड़ी और उन्हें समझाना पड़ा की नाबालिग की शादी की अनुमति नहीं है. इस पर दादी ने कहा कि उसके पास लड़की और उसके भाइयों को खिलाने के लिए पैसे नहीं थे.”
महामारी के कारण कई परिवारों बाल विवाह करने को मजबूर
बता दें कि मंबई शहर में साल 2016 से 2019 के बीच आधिकारिक रूप से चाइल्ड मैरिज का कोई मामला दर्ज नहीं किया गया. डब्लयूसीडी के अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर मामलों में ये बात सामने आई है कि इस साल महामारी और उसके बाद के आर्थिक नुकसान की वजह से कई परिवार अपनी नाबालिग बेटियों की शादी कम उम्र में करने को मजबूर हुए हैं.
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