'बच्चों को गोद लेने में लड़कियों को मिल रही तरजीह', संसद में स्मृति ईरानी ने दिए ये आंकड़े
केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि लोग लड़कों की अपेक्षा लड़कियों को गोद लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं.
Parliament Winter Session 2022: महिला एंव बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने राज्यसभा में संसद (Parliament) के शीत सत्र में पूछे गये एक सवाल के जवाब में बताया कि लडकों की अपेक्षा लोग लड़कियों को गोद लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. स्मृति ईरानी ने राज्यसभा में एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि सरकार की गोद लेने की प्रक्रिया को कठोर बनाए जाने के बाद अभिभावकों ने देश भर में 200 बच्चों को सरकार को वापस लौटा दिया है.
ईरानी ने कहा कि गोद लेने की प्रक्रिया को बनाने के बाद सरकार गोद लेने वाले मां-पिता के साथ नियमित संपर्क में रही है. नये नियम के मुताबिक किसी बच्चे को अगर कोई गोद लेता है तो सरकार दो साल तक उस बच्चे की निगरानी (फॉलो अप) लेते रहती है जिससे कि यह पता चल सके कि बच्चे को कोई परेशानी तो नहीं हो रही है.
एनजीओ को हटाने को लेकर क्या बोली ईरानी
स्मृति ईरानी ने सदन में ये भी बताया कि सरकार ने बाल कल्याण समिति को मजबूत बनाने पर भी जोर दिया है और उन्होंने गोद लिये जाने की प्रक्रिया से गैर सरकारी संगठनों को अलग कर दिया है.
पुलिस को क्या जिम्मेदारी दी गई?
स्मृति ईरानी ने बताया कि नये नियमों के तहत गोद लिये जाने की प्रक्रिया से एनजीओ को अलग कर दिया गया है और प्रशासन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. ईरानी ने कहा कि बच्चे के देखभाल और निगरानी की जिम्मेदारी जिलाधिकारी के साथ-साथ पुलिस को भी दी गई है. उन्होंने आंकड़ो का हवाला देते हुए कहा कि भारत में गोद लिये जाने वाले लड़कों की संख्या लड़कियों की संख्या से अधिक हो गई है.
क्या बोली स्मृति ईरानी?
स्मृति ईरानी (Smriti Irani) ने कहा कि 2021-22 में 1293 लडके गोद लिये गये हैं जबिक लड़कियों की संख्या करीब 1690 है. जिससे यह पता चलता है कि देश में लड़कों की अपेक्षा अभिभावक लड़कियों को गोद लेने में ज्यादा तरजीह दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि 2020-21 में भी जहां 1200 लड़कों को गोद लिया गया था तो वहीं लोगों ने 1856 लड़कियों को गोद लिया था. 2019-20 में 1400 लड़कों को तो वहीं 1938 लड़कियों को उन्होंने गोद लिया था.