India-China LAC: पैंगोंग झील पर एलएसी के पास चीन बना रहा दूसरा पुल, सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ खुलासा
India China Tension: पूर्वी लद्दाख की विवादित पैंगोंग झील पर चीन की पीएलएल सेना ने दूसरे पुल का निर्माण-कार्य शुरू कर दिया है. ओपन-सोर्स इंटेलीजेंस, डेड्रस्फा (डैमिन सिमोन) ने सैटेलाइट इमेज के जरिए इस बात का खुलासा किया है.
पूर्वी लद्दाख की विवादित पैंगोंग झील पर चीन की पीएलए ने दूसरे पुल का निर्माण-कार्य शुरू कर दिया है. ओपन-सोर्स इंटेलीजेंस, डेड्रस्फा (डैमिन सिमोन) ने सैटेलाइट इमेज के जरिए इस बात का खुलासा किया है. हालांकि, चीन ने इस पुल का निर्माण भी पहले ब्रिज की तरह ही अपने अधिकार-क्षेत्र वाली झील पर शुरू किया है लेकिन चिंता की बात ये है कि ये भारत से सटी एलएसी के बेहद करीब में तैयार किया गया है.
डेट्रस्फा ने जो सैटेलाइट इमेज जारी की है, उससे पता चलता है कि दूसरा पुल पहले ब्रिज से सटा हुआ है. दूसरा पुल पैंगोंग झील के दोनों छोर यानी उत्तर और दक्षिण दोनों तरफ से बनाया जा रहा है. ये पुल पहले वाले ब्रिज से बिल्कुल सटा हुआ है जिसका निर्माण-कार्य हाल ही में चीन ने पूरा किया था.
हालांकि, भारत की तरफ से अभी तक इस दूसरे पुल को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है लेकिन माना जा रहा है कि या तो चीन की पीएलए सेना आने और जाने के लिए अलग-अलग पुलों का निर्माण कर रही है. या फिर हो सकता है कि एक पुल पैदल-सैनिकों के लिए हो और दूसरा टैंक, आर्म्ड पर्सनेल कैरियर (एपीसी) और दूसरे मिलिट्री-व्हीकल्स के लिए हो.
आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन की पीएलए-सेना ने इसी साल जनवरी के महीने में पुल बनाने का काम शुरू किया था और महज पांच महीने में इसे बनाकर खड़ा कर दिया था. इस पुल का खुलासा भी ओपन सोर्स सैटेलाइट इमेज से हुआ था.
चीन पैंगोंग लेक पर इन पुल का निर्माण इसलिए कर रहा है ताकि उसके सैनिक झील के उत्तर और दक्षिण इलाकों में आसानी से आवागमन कर सकें. दरअसल, 2019 में पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिण दोनों में भारत और चीन की सेनाओं में विवाद हुआ था. झील के उत्तर में विवादित फिंगर एरिया है तो दक्षिण में कैलाश हिल रेंज और रेचीन ला दर्रा है. हालांकि बाद में दोनों ही जगह पर डिसइंगेजमेंट हो गया था लेकिन पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं में तनाव जारी है और दोनों ही सेनाओं के 60-60 हजार सैनिक यहां तैनात हैं. इसके अलावा टैंक, तोप और मिसाइलों का जखीरा भी है.
करीब 140 किलोमीटर लंबी पैंगोंग झील का दो तिहाई हिस्सा यानी करीब 100 किलोमीटर चीन का है. ऐसे में चीन के सैनिकों को एक छोर से दूसरे छोर जाने के लिए या तो बोट का सहारा लेना पड़ता है या फिर पूरा 150 किलोमीटर घूम कर आना पड़ता है. लेकिन नए पुल के बनने से एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचना बेहद आसान हो गया है. दोनों ही पुल चीन अपने ही सीमा-क्षेत्र में तैयार कर रहा है.
हालांकि, भारत भी एलएसी के अपने इलाकों में पुल और सड़कों का जाल बिछाने में जुटा है. पिछले हफ्ते ही थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे तीन दिन के दौरे पर पूर्वी लद्दाख के दौरे पर गए थे और लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर (14वीं कोर) के मुख्यालय पर कमांडर्स के साथ मुलाकात कर ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा की थी. इसके अलावा थलसेना प्रमुख ने हाल के दिनों में सेना में जिन नए हथियार, सैन्य साजो सामान और तकनीक को अपने आयुध-डिपो में शामिल किया है उसका भी जायजा लिया था. इस दौरान जनरल पांडे चीन से सटी एलएसी की फॉर्वर्ड-लोकेशन पर भी गए थे और सैनिकों से मिलकर उनका उत्साह बढ़ाया था.
पिछले साल भारत के रक्षा मंत्रालय ने अपनी सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया था कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी के जिन इलाकों में डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है वहां भारतीय सेना की तैनाती बढ़ा दी गई है. साथ ही एलएसी के दूसरी तरफ चीन के जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर और पीएलए की बढ़ी हुई संख्या को देखते हुए भारतीय सेना ने पुनर्गठन के साथ-साथ अपने सैन्य ढांचे में जरूरी बदलाव भी किए हैं.
रक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, "एलएसी पर एक से अधिक क्षेत्रों में चीन द्वारा बल के प्रयोग पर स्टेट्स-क्यो यानि यथास्थिति को बदलने के लिए एकतरफा और उत्तेजक कार्रवाइयों का पर्याप्त रूप से जवाब दिया गया है." रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत में लगी हुई हैं. निरंतर संयुक्त प्रयासों के बाद, कई स्थानों पर डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है. ऐसे में उन क्षेत्रों में जहां डिसइंगेजमेंट नहीं हुआ है वहां पर्याप्त रूप से सैनिकों की संख्या बढ़ाई गई है.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, एलएसी पर अपने दावों को मजबूत करने के लिए भारतीय सैनिक पूरी दृढ़ता लेकिन शांति-पूर्वक सीमा पर चीन के खिलाफ डटे हुए हैं. रिपोर्ट में बताया गया था कि एलएसी पर भारत भी सड़क, ब्रिज और दूसरी मूलभूत सुविधाओं के साथ अपना इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने में जुटा है.