ओपन सोर्स इंटेलिजेंस साइट्स‌ ने चीन के रूटोग बेस की सैटेलाइट्स इमेज जारी की है. इसमें साफतौर पर देखा जा सकता है कि वहां कितना बड़ा मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया है. पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण में जो पहले चरण का डिसइंगेजमेंट हुआ है उसके बाद पीएलए आर्मी के टैंक, आर्मर्ड व्हीकल्स और हैवी मशीनरी इसी रूटोग बेस पर पहुंच गए हैं. चीनी सैनिक भी बड़ी तादाद में यहां लौट गए हैं. रूटोग की दूरी मोल्डो गैरिसन से करीब 100 किलोमीटर है.


एलएसी के दूसरी तरफ भारत के भी करीब तीन-चार बड़े बेस हैं. इनमें चुशूल ब्रिगेड हेडक्वार्टर, नियोमा और लोमा शामिल है. इसके अलावा, लुकुंग और थाकुंग एक्सेस पर तांगसे एक बड़ी मिलिट्री छावनी है. शनिवार को भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर के 10वें दौर की बैठक हुई थी. ये बैठक दोनों देशों के बीच डिसइंगेजमेंट समझौते के पहले चरण के पूरे होने के बाद हुई.


जानकारी के मुताबिक, पैंगोंग-त्सो लेक के उत्तर और दक्षिण में पहले चरण का डिसइंगेजमेंट पूरा हो चुका है. पहले चरण के डिसइंगेजमेंट में पैंगोंग त्सो के उत्तर में फिंगर एरिया में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गई हैं. चीनी सेना ने फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का पूरी इलाका खाली कर दिया है और अब सिरिजैप पोस्ट पर चली गई है.


एलएसी के सबसे विवादित इलाके, फिंगर एरिया से चीनी सेना ने अपने सैनिकों और बंकर्स के साथ-साथ मिसाइल बेस और तोपखाने को भी हटा लिया है. आपको बता दें कि डिसइंगेजमेंट समझौते के तहत चीनी सेना को फिंगर 4 से फिंगर 8 तक का पूरा इलाका खाली करना था, और जितना भी डिफेंस-फोर्टिफिकेशन पिछले नौ महीने में किया था, वो सब तोड़ना है.  भारतीय सेना भी फिंगर 4 से फिंगर 3 पर अपनी स्थायी चौकी, थनसिंह थापा पोस्ट पर चली गई है.


चीनी सेना ने पैंगोंग-त्सो के दक्षिण छोर से भी कैलाश हिल रेंज को खाली कर रही है. पैंगोंग-त्सो के दक्षिणी छोर से लेकर रेचिन ला दर्रे तक करीब 60 किलोमीटर इलाकों को दोनों देशों की सेनाओं को खाली करना है. क्योंकि यहां पर दोनों देशों की सेनाओं की एक दूसरे से मात्र 40-50 मीटर की दूरी थी. यहां पर दोनों देशों की आर्मर्ड और मैकेनाइज्ड फोर्सेज़ यानि टैंक, आईसीवी व्हीकल्स (बीएमपी इत्यादि) और हैवी-मशीनरी तैनात थी.


भारतीय सेना ने मोबाइल से और ड्रोन की मदद से इस डिसइंगेजमेंट की वीडियोग्राफी की है. क्योंकि डिसइंगेजमेंट समझौते में साफतौर से लिखा गया था कि जो भी इस दौरान प्रक्रिया होगी उसको वेरीफाई किया जाएगा. इसका उल्लेख रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में दिए अपने भाषण में भी दिया था-‘फेस्ड, कोर्डिनेंट्ड एंड वेरीफाइवेल’ डिसइंगेजमेंट.