पाकिस्तान की कश्मीर में आतंक फैलाने की साजिश फेल होने के बाद क्या अब चीन कश्मीर में अपने पैर पसारना चाहता है.‌ ये सवाल इसलिए क्योंकि हाल के दिनों में देश की इंटेलिजेंस एजेंसियों को कश्मीर में चीन से जुड़े कुछ ऐसे सबूत हाथ लगें है जिससे इस बात का पता चलता है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई के जरिए चीन कश्मीर में आतंक का जाल और अधिक बढ़ाने की फिराक में है. एबीपी न्यूज के हाथ इस साजिश की कुछ एक्सक्लुजिव जानकारी हाथ लगी है.


जानकारी के मुताबिक, पिछले कुछ समय से कश्मीर में आतंकियों के कब्जे से चीन में निर्मित राइफल मिल रही हैं.‌ अभी तक एके-47 या फिर‌ यदा कदा अमेरिकी हथियार (जो अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों से लूटे गए थे) मिलते थे. लेकिन हाल के दिनों में नया ट्रेंड दिखाई पड़ रहा है. ये ट्रेंड है चीन में निर्मित '97 एनएसआर' राइफल का, जो आतंकियों के कब्जे से मिल रही हैं. ये राइफल चीन की एक कंपनी 'नोरिंको' तैयार करती है. आतंकियों के कब्जे से चीनी हथियारों के मिलने से भारत की खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं.


सुरक्षा एजेंसियों को क्या शक है
23-24 सितबंर की रात को जम्मू से दक्षिण कश्मीर जा रही एक बोलरो गाड़ी से सुरक्षाबलों ने दो संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार किया तो उनके कब्जे से दो राइफल और गोला-बारूद बरामद हुआ. इन दो राइफल्स में से एक एके-47 थी और एक चीनी '97 एनएसआर' थी. एनएसआर के साथ 4 मैगजीन और 190 राउंड गोलियां थीं. सुरक्षा एजेंसियों को पूरा शक है कि इन हथियारों को ड्रोन के जरिए पाकिस्तान ने जम्मू के सांबा सेक्टर में गिराया था.


ये कोई पहली घटना नहीं थी जब चीन में निर्मित राइफल सुरक्षाबलों के हाथ लगी थी. इससे पहले 14 सितंबर को एलओसी के गुरेज सेक्टर से जब दो आतंकियों ने भारत की सीमा में दाखिल होने की कोशिश की तो भारतीय सेना ने उन्हें रोकने की कोशिश की. दोनों आतंकियों ने सेना से बचने के लिए करीब की ही एक नदी में छलांग लगा दी. इस‌ घटना में दोनों आतंकियों की मौत हो गई और बाद में उन दोनों की लाश को नदी से निकाल लिया गया. लेकिन जब उनके सामान की तलाश की गई तो पता चला कि उनके पास से चीन की बनी नोरिंको क्यूबीजेड-95 राइफल बरामद हुई.


चीन के खिलाफ सीधे तौर पर कोई सबूत नहीं
भारत की सुरक्षा एजेंसियों के टॉप सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया कि अभी तक चीन के कश्मीर में आतंक फैलाने के सीधे तौर से कोई सबूत नहीं मिले हैं. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि चीन और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी, आईएसआई के बीच अब गहरी सांठ-गांठ हो चुकी है. इस बात का बल इससे भी मिलता है कि पाकिस्तानी सेना का एक बड़ा अधिकारी अब बीजिंग स्थित पीएलए सेना के हेडक्वॉर्टर में तैनात रहता है. इससे पहले इस‌ बात की भी रिपोर्ट्‌स सामने आई थीं कि चीन कश्मीर में लगभग खत्म हो चुके अल-बदर नाम के एक आतंकी संगठन को फिर से खड़ा करना चाहता है. हालांकि, इस बात की पुष्टि ठीक ठीक नहीं हो पाई है.


सूत्रों की मानें तो जो चीनी राइफल हाल के दिनों में कश्मीर में सक्रिए आतंकी संगठनों से बरामद हुए हैं. वे या तो चीन की पीएलए सेना इस्तेमाल करती है या फिर पाकिस्तान के फ्रंटियर को या फिर सीपीईसी (सीपैक--चायना पाकिस्तान ईकोनोमिक कोरिडोर) की सुरक्षा में तैनात स्पेशल यूनिट्स. ऐसे में ये हथियार कश्मीर घाटी कौन भेज रहा है बताना कोई टेढ़ी खीर नहीं है.


बिना हथियार के एलओसी पर आतंकियों की घुसपैठ
आईएसआई ने एलओसी पर घुसपैठ के रूल्स ऑफ इंगेजमेंट को बदल दिया है. अब आईएसआई घुसपैठ करने वाले आतंकियों को बिना हथियार के एलओसी पर भेज रही है. वो इसलिए क्योंकि भारतीय सेना निहत्थे आतंकियों पर फायरिंग नहीं करती है. इससे मारे जाने वाले आतंकियों की संख्या में कमी हो‌ सकती है. इसके बदले आईएसआई अब हथियारों को ड्रोन यानि यूएवी के जरिए भारत भेज रही है.


कब-कब हुई हथियारों की स्मैगलिंग
पाकिस्तान ने सीपैक की सुरक्षा के लिए चीन से बड़ी तादाद में हैक्साकॉप्टर (ड्रोन) लिए हैं. इन्ही ड्रोन का इस्तेमाल पाकिस्तान अब हथियारों की स्मैगलिंग कर रहा है. जानकारी के मुताबिक, 23-34 सितंबर को जो चीनी हथियारों की खेंप जम्मू से दक्षिण कश्मीर के रास्ते जाते हुए जो पकड़ी गई थी, उसके अलावा 22 सितंबर को अखनूर सेक्टर में भी हथियारों की खेप ड्रोन के जरिए पाकिस्तान की तरफ से भेजी गई थी.


इससे पहले 18 सितंबर को राजौरी सेक्टर में दो एके-47 राइफल, दो पिस्टल और चार हैंड ग्रैनेड्स भी इंटेलीजेंस‌ एजेंसियों के मुताबिक ड्रोन के जरिए भारतीय सीमा में भेजी गई थी. इससे पहले पंजाब सेक्टर में (12 सितंबर को) भी पाकिस्तान ने ड्रोन के जरिए हथियारों की स्मैगलिंग की कोशिश की थी. एके-47, अमेरिकी एम-16 राइफल और दो पिस्टल की इस खेप को बीएसएफ ने बॉर्डर फैंस के करीब बरामद किया था. 8 सितंबर को भी अंतर्राष्ट्रीय सीमा के करीब एक एके-47 और एक एम-4 राइफल की एक ऐसी ही खेप बरामद हुई थी.


इससे पहले 22 जुलाई और 30 अगस्त को एलओसी के रामपुर सेक्टर और 18 अगस्त को तंगधार सेक्टर, 6 जुलाई को उरी सेक्टर और 31 जुलाई को माछिल सेक्टर में भी हथियारों की खेप बरामद हुई थी. ये सभी खेप मानी जा रही है कि ड्रोन के जरिए भारतीय सीमा में भेजी गई थी.


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