India-China Border Conflict: टनल, शेल्टर, बंकर... नॉर्दर्न लद्दाख के पूर्व में 60 किमी दूर जमीन के नीचे क्या-क्या बना रहा चीन?
चीन ने अक्साई चिन पर नदी घाटी के दोनों ओर सैनिकों और हथियारों के लिए बंकर का निर्माण कार्य शुरू कर दिया है. एक्सपर्ट्स ने तस्वीरों के विश्लेषण में इसकी पहचान की है.
अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को अपना क्षेत्र बताते हुए चीन ने नए नक्शे जारी कर एक बार फिर अपने गलत इरादे जगजाहिर कर दिए हैं. इस बीच वह लाइन ऑफ एक्चुअल (LAC) कंट्रोल के पूर्व में अक्साई चिन क्षेत्र में सुरंगें बना रहा है. नदी घाटी के दोनों ओर उसने सुरंगें और सैनिकों एवं हथियारों के लिए बंकर बनाने का काम शुरू कर दिया है. ये निर्माण कार्य उत्तरी लद्दाख में डेपसांग मैदानों से 60 किलोमीटर की दूरी पर देखे गए हैं. यह इलाका LAC के पूर्व में अक्साई चिन में स्थित है.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल द्वारा मैक्सर से एक हफ्ते से ज्यादा समय तक ली गई तस्वीरों का इंटरनेशनल जियो-इंटेलीजेंस एक्सपर्ट्स ने विश्लेषण किया. इसमें नदी घाटी के दोनों ओर 11 पोर्टल और शाफ्ट बनाए जाने की पहचान की गई है. पिछले कुछ महीनों से यहां पर बड़े स्तर पर निर्माण कार्य किया जा रहा है.
भारतीय सेना के खौफ से अंडरग्राउंड हो रहा चीन
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत की ओर से हवाई हमलों और एयरस्ट्राइक और दूर तक वार करने वाली तोपों से अपने सैनिकों और हथियारों को बचाने की कोशिश में चीन ऐसा कर रहा है. उनका मानना है कि इन क्षेत्रों में अंडरग्राउंड सुविधाओं का विकास करके चीनी रणनीतिकारों का लक्ष्य अक्साई चिन में भारतीय वायु सेना के लिए चुनौती बढ़ाना है.
गलवन घाटी के बाद आर्मी ने बढ़ाई अपनी ताकत
एक्सपर्ट्स का मानना है कि गलवन घाटी की घटना के बाद जिस तरह से भारती सेना ने अपनी ताकत को बढ़ाया है, उसको देखते हुए चीन ने यह कदम उठाया. न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी के सीईओ समीर जोशी ने कहा कि गलवन घाटी की घटना के बाद भारतीय सेना ने अपने फायर वैक्टर में विस्तार किया है. विशेषरूप से लंबी दूरी तक वार करने वाले रॉकेट तोपखाने को प्रभावी ढंग से बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि शेल्टरों की मजबूती बढ़ाना, बंकरों, सुरंगों और सड़कों को चौड़ा करने जैसे बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्यों से स्पष्ट है कि वर्तमान खतरे को कम करने के लिए किए जा रहे हैं.
पैंगोंग झील के पास रनवे विस्तार पर विचार
भारतीय वायु सेना लद्दाख मोर्चे पर चीन के खिलाफ कई फ्रंटलाइन एयरबेस संचालित करती है. एयरफोर्स न्योमा में एयर लैंडिंग ग्राउंड में रनवे का विस्तार करने पर भी विचार कर रही है, जो पैंगोंग झील के पास 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. न्योमा में रनवे का विस्तार करने से वायुसेना चीन के साथ एलएसी से 50 किलोमीटर से कम दूरी पर लड़ाकू विमानों का संचालन कर सकेगी.
तस्वीरों में नजर आई मशीनरी
18 अगस्त की तस्वीरों में घाटी के किनारे 4 नए बंकर बनाए जाने की पहचान की गई है. इसके अलावा, इनमें पहाड़ी पर तीन स्थानों पर सुरंग या 2 और 5 पोर्टल के साथ हर क्षेत्र में सुरंग बनाई जा रही हैं. यहां विभिन्न स्थानों पर भारी मशीनरी भी देखी गई. घाटी के बीचों-बीच एक सड़क को चौड़ी करने के भी तस्वीरों में संकेत मिले हैं. तस्वीरों में यह भी देखने को मिला है कि बंकरों को अतिरिक्त सुरक्षा देने के लिए आस-पास की मिट्टी को ऊपर उठाया गया और बाहर जाने और प्रेवश करने वाले स्थानों को कंटीले जैसे डिजाइन में तब्दील कर दिया गया है. इसके पीछे का मकसद सैनिकों और हथियारों को सीधे हमले से प्रोटेक्ट करना है.
एक्सपर्ट्स का मानना, चीन गतिरोध खत्म करने के मूड में नहीं
चीन पर भारत के आधिकारिक पर्यवेक्षकों में से एक ब्रह्मा चेलानी ने कहा कि चीन की ओर से किए जा रहे ये निर्माण कार्य उसकी कठोरता को दर्शाते हैं और ये इस बात के भी संकेत हैं कि वह भारत के साथ सैन्य गतिरोध को खत्म करने की ओर नहीं सोच रहा. उन्होंने कहा कि उसकी ये गतिविधियां अक्साई चिन और पूर्वी लद्दाख व मध्य क्षेत्र से अरुणाचल-तिब्बत फ्रंटियर तक सीमा पर फैले सैन्य संरचनाओं के निर्माण को दर्शाती हैं.
डेपसांग में भारतीय सैनिकों को रोकता रहा है चीन
भारत और चीन ने नो-पैट्रोल जोन स्थापित करके वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध को कम करने की कोशिश की है. हालांकि, डेपसांग मैदान भारत के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण बना हुए हैं क्योंकि चीनी सेना भारतीय सैनिकों को वहां पर लगातार रोकती रही है. 2020 से पहले भी वह भारतीय सैनिकों को यहां उनके गश्त मार्गों पर पहुंचने से रोकता था.
गलवन घाटी की घटना के बाद सड़क निर्माण में तेजी लाया भारत
साल 2020 में गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ झड़प के बाद से भारत लद्दाख क्षेत्र में रोड और सुरंगों के निर्माण और उच्च ऊंचाई वाले हवाई क्षेत्रों के आधुनिकीकरण में तेजी लाया है. एलएसी के पास संवेदनशील दौलत बेग ओल्डी (DBO) और लेह को जोड़ने वाली डारबक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DSDBO) सड़क का काम पूरा कर लिया गया है. इसके बनने से डीबीओ में तैनात सैनिकों और बेस सड़क मार्ग के जरिए भी यह रास्ता तय कर सकते हैं क्योंकि अब सड़क मार्ग के जरिए दो दिन का यह रास्ता 6 घंटे में कवर कर लिया जाएगा. वैसे भारतीय सेना डीबीओ के लिए एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल किया करती थी. इस रोड़ पर नई सुरंग बनाने का काम भी चल रहा है.