श्रीलंका में लगातार पैठ बना रहा चीन, अब उसके इस कदम से बढ़ सकती है भारत की सामरिक चिंता
20 मई को श्रीलंका की संसद ने कोलंबो पोर्ट के करीब एक स्पेशल जोन बनाने की अनुमति दी है, जिसका निर्माण चीन की एक बड़ी कंपनी करेगी. कंपनी को 99 साल की लीज़ पर कोलंबो बंदरगाह से सटी हुई करीब 153 एकड़ की जगह मिली है. इसे कोलंबो पार्ट सिटी इकनोमिक कमीशन नाम दिया गया है.
नई दिल्ली: भले ही भारत के दो जहाज इनदिनों कोलंबो के करीब एक जहाज में लगी आग बुझाने में जुटे हों. लेकिन चीन एक बार फिर पड़ोसी देश श्रीलंका में अपनी ऐसी धमक जमाने जा रहा है, जिससे भारत की सामरिक चुनौती और बढ़ने वाली है. श्रीलंका में हम्बनटोटा पोर्ट पर कब्जा जमाने के बाद अब चीन को श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में एक बंदरगाह बनाने का रास्ता साफ हो गया है. ये पोर्ट भारत के कन्याकुमारी से महज़ 290 किलोमीटर की दूरी पर है.
दरअसल, 20 मई को श्रीलंका की संसद ने कोलंबो पोर्ट के करीब एक स्पेशल जोन बनाने की अनुमति दी है, जिसका निर्माण चीन की एक बड़ी कंपनी करेगी. कंपनी को 99 साल की लीज़ पर कोलंबो बंदरगाह से सटी हुई करीब 153 एकड़ की जगह मिली है. इसे कोलंबो पार्ट सिटी इकनोमिक कमीशन नाम दिया गया है.
अभी तक की जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक, चीन की चायना कम्युनिकेशन एंड कंस्ट्रेक्शन कंपनी इस खास इकनोमिक जोन को डेवलेप करेगी. इस जोन में ये कंपनी कैसिनो, रेजोर्ट, रेजीडेंशियल और फाइनेंशियल जोन तैयार करेगी. कंपनी पहले ही श्रीलंका की राजधानी कोलंबो में इंफास्ट्रक्चर निर्माण के लिए 1.4 बिलियन डॉलर निवेश कर चुकी है. इसके बदले में ही चीनी कंपनी को कोलंबो पोर्ट सिटी इकनोमिक डोर बनाने की अनुमति दी गई है.
लेकिन सामरिक जानकारों की मानें तो भारत के लिए खतरा इस बात का है कि ये चीन की ‘पर्ल ऑफ स्ट्रिंग’ पॉलिसी में एक और ‘मोती’ बढ़ गया है. ऐसा मोती जो भारत के चारों तरफ शिकंजा कसने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. चीन पहले से ही श्रीलंका के हम्बनटोटा पोर्ट को अपने कब्जे में कर चुका है. इसके बाद कोलंबो पोर्ट भी परोक्ष-अपरोक्ष रूप से उसके कब्जे में आ गया है. क्योंकि जरूरत पड़ने पर चीन के युद्धपोत से लेकर पनडुब्बियां यहां कभी भी आराम से डेरा जमा सकते हैं, जबकि भारत का कन्याकुमारी, चेन्नई और त्रिवेंद्रम जैसे बड़े शहर उसकी जद में आ जाएंगे.
कहा तो ये भी जा रहा है कि इस स्पेशल जोन के लिए चीन यहां रहने वाले लोगों के लिए एक अलग पासपोर्ट जारी करेगा. इस पासपोर्ट की कॉपी इनदिनों सोशल मीडिया पर वायरल है.
आपको बता दें कि भारत खुद को हिंद-महासागर क्षेत्र का नेट सिक्योरिटी-प्रोवाइटर मानता आया है. यही वजह है कि जब हाल ही में कोलंबो पोर्ट के करीब एक जहाज में आग लग गई तो श्रीलंकाई सरकार की अपील पर भारत ने तुंरत कोस्टगार्ड के दो जहाज (आईसीजीएस वैभव और वज्र) और एक विमान को तुरंत मदद के लिए रवाना कर दिया. ये दोनों जहाज चीन में बने इस जहाज में आग बुझाने में जुटे हैं. कोस्टगार्ड का एक तीसरा जहाज भी कोलंबो के लिए रवाना हो चुका है. इस दौरान कोस्टगार्ड के जहाज ना केवल इस मालवाहक जहाज की आग बुझाने में जुटे हैं, बल्कि श्रीलंकाई पोर्ट प्रशासन को आग बुझाने वाला खास लिक्विड भी सौंपा है.