सीमा पर तनातनी के बीच चीन की चालबाज़ी, LAC पर S-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम को किया तैनात
भारत के रक्षा विशेषज्ञ जी डी बख्शी के मुताबिक, चीन ने एस-400 मिसाइल सिस्टम को भारत से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर तैनात कर दिया है.
नई दिल्ली: सीमा पर चल रही तनातनी के बीच खबर है कि चीन ने भारत से सटी एलएसी पर एस-400 एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम को तैनात कर दिया है. आपको बता दें कि हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने मास्को दौरे के दौरान रूस से जल्द एस-400 मिसाइल सिस्टम को डिलीवरी करने का आग्रह किया था.
भारत के रक्षा विशेषज्ञ जी डी बख्शी के मुताबिक, चीन ने एस-400 मिसाइल सिस्टम को भारत से सटी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर तैनात कर दिया है. दरअसल, चीन को रूस ने वर्ष 2018 में एस-400 मिसाइस सिस्टम दिया था. इससे पहले एस-300 भी दिया था.
भारत ने भी रूस से 2018 में एस-400 सिस्टम का सौदा किया था. करीब 39 हजार करोड़ के इस सौदे में भारत को पांच (05) एस-400 की बैटरी यानी रेजीमेंट मिलने वाली हैं. लेकिन कोरोना महामारी के चलते डिलावरी में देरी हो रही है. हाल ही में रूस की यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी जल्द करने की मांग की थी. माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक ये सिस्टम भारत को मिल जाएगा.
एस-400 मिसाइल लंबी दूरी (लांग-रेंज) तक हवाई सुरक्षा करती है और इसकी रेंज करीब 400 किलोमीटर है. यानी कोई भी मिसाइल या विमान इत्यादि हमले करने की कोशिश करता है तो ये मिसाइल सिस्टम वक्त रहते ही उसे नेस्तनाबूत करने में सक्षम है. ये एंटी-बैलिस्टक मिसाइल है. यानी आवाज की गति से भी तेज रफ्तार से ये हमला बोल सकती है.
लेकिन आपको यहां पर ये बताना जरूरी है कि जब से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच तनातनी शुरू हुई है तब से भारतीय वायुसेना पूरी तरह अलर्ट है. वायुसेना के सभी फ्रंट लाइन एयरबेस पूरी तरह चौकस हैं और सुखोई, मिग-29, मिराज2000 और जगुआर लड़ाकू विमान चीन सीमा से सटी एयर-स्पेस पर कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग कर रहे हैं. हवाई निगरानी के लिए अवैक्स और नेवी के पी8आई टोही विमान को तैनात किया गया है.
सूत्रों के मुताबिक, वायुसेना को किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए मात्र आठ (08) मिनट में तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं. भारत को चीन से एयर पॉवर में इसलिए भी बढ़त हासिल है क्योंकि भारत के सभी फ्रंट लाइन एयरबेस कम उंचाई वाले इलाकों में हैं--अंबाला, हलवारा (लुधियाना), आदमपुर (जालंधर), पठानकोट, भटिंडा, सिरसा, श्रीनगर. ऐसे में भारतीय लड़ाकू विमान ज्यादा फ्यूल लेकर लंबी दूरी तक भी जा सकते हैं और वैपेन यानी ज्यादा मिसाइल और बमों को ले जा सकते हैं.
क्योंकि खबर है कि चीन ने भा भारत से सटे अपने सभी एयरबेस अलर्ट किए हुए हैं. इनमें ल्हासा, होटान, नगरी-गुंसा, निंगसी और शैनान प्रमुख तौर से शामिल हैं. चीन ने अपने सुखोई, जे-8,10, 11 सहित जे-20 स्टील्थ विमानों को इन एयरबेस पर तैनात कर रखा है. अपुष्ट खबर ये भी है के भारत के साथ डॉग-फाइट के लिए चीन पाकिस्तान के कब्जे वाले स्कार्दू एयरबेस का भी इस्तेमाल कर सकता है.
अगले महीने के अंत तक फ्रांस से भी रफाल लड़ाकू विमानों की पहली खेप अंबाला पहुंचने वाली है. ऐसे में रफाल के वायुसेना में शामिल होने से भारतीय वायुसेना को चीन के खिलाफ बढ़त मिल जाएगी.
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