मुंबई: गलवान घाटी में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हुए हिंसक संघर्ष के बाद दोनों देशों के संबंध बेहद तनावपूर्ण हो गए हैं. चीन की तरफ से खतरा सिर्फ सीमा पर ही नहीं बना हुआ है, बल्कि चीन साइबर अटैक करके भी भारत को नुकसान पहुंचाना चाहता है.


गलवान घाटी में हुए हिंसक संघर्ष के 5 दिनों के भीतर चीन के हैकरों की तरफ से भारत के साइबर स्पेस में 40000 से ज्यादा बार हमले किए जा चुके हैं. यह हमले भारत की महत्वपूर्ण सरकारी वेबसाइटों के अलावा आम जनता से जुड़ी सेवाओं पर भी किए जा रहे हैं.


आधुनिक युग में जल, थल, वायु के अलावा साइबर स्पेस और अंतिरक्ष युद्ध के नए मोर्च बन गए हैं. दो देशों के बीच शांति काल में जल, थल और वायु में शांति बनी रहती है, लेकिन साइबर स्पेस में टकराव जारी रहता है. इसी कड़ी में चीन, भारत के साइबर स्पेस पर हमले कर रहा है. चीन के सिचुआन प्रांत से ये साइबर अटैक हो रहे हैं. गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद इन हमलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.


तीन तरीकों से हमला कर रहा है चीन
चीन मुख्यतः तीन तरीकों से ताजा साइबर हमले कर रहा है, जिसमें से एक 'फिशिंग' हमेशा से चर्चा में बनी रहती है. इसमें चीनी हैकरों की तरफ से मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद जैसे बड़े महानगरों में कोरोना की मुफ्त जांच वाले मेल और एसएमएस लोगों को किए जा रहे हैं. जब लोग फ्री जांच के नाम पर इन लिंक को खोलते हैं, तो उनकी जरूरी सूचनाएं हैकर प्राप्त कर लेते हैं.


इसके अलावा 'denial-of-service' साइबर अटैक भी किया जा रहा है, जिसमें सर्विस के लिए बहुत सारी झूठी रिक्वेस्ट भेजी जाती हैं, सरवर पर भीड़ बढ़ाई जाती है, लेकिन हकीकत में सर्विस की जरूरत नहीं होती, जिससे सरवर क्रैश हो जाता है. तीसरी तरह का हमला है इंटरनेट प्रोटोकॉल हाईजैक, जिसमें सरवर के सुरक्षा तंत्र को प्रभावित किया जा रहा है.


महाराष्ट्र साइबर स्पेस से गाइडलाइन जारी 
अब तक हुए चीनी साइबर हमलों में भारत के साइबर स्पेस में कोई खास असर नहीं पड़ा है. भारतीय साइबर एजेंसियों ने सफलता से इनको कंट्रोल कर लिया है. हालांकि महाराष्ट्र साइबर स्पेस की तरफ से आने वाले समय के लिए भारतीय कंपनियों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी गई हैं, जिसमें अनजान लिंक पर क्लिक करने से मना किया गया है. इटरनेट प्रोटोकॉल को मजबूत करने और साइबर एक्सपर्ट्स के माध्यम से इंटरनेट सर्विस के ऑडिट कराने की बात भी कही गई है.


यह भी पढ़ें:


भारत की जमीन पर चीन का कोई कब्जा नहीं, सैटेलाइट की तस्वीरें दे रही हैं गवाही