China ने ऐसा क्या किया कि भारत को फौरन अपने विदेश सचिव को म्यांमार भेजना पड़ा?
India China Row: भारत के विदेश सचिव 22 और 23 दिसंबर को म्यांमार के दौरे पर पर रहेंगे. आखिर चीन ने ऐसा क्या किया कि भारत को फौरन अपने विदेश सचिव को वहां भेजना पड़ा?
Indian Foreign Secretary Harsh Vardhan Shringla 22 और 23 दिसंबर को म्यांमार के दौरे पर होंगे. पड़ोसी देश म्यांमार में फरवरी 2021में हुए सैनिक तख्तापलट के बाद भारतीय विदेश सचिव की यह पहली यात्रा होगी. विदेश मंत्रालय के मुताबिक डॉ श्रृंगला अपनी इस यात्रा के दौरान स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन कौंसिल, राजनीतिक दलों और सिविल सोसाइटी सदस्यों के साथ मानवीय सहायता, राजनीतिक हालात सुरक्षा और दोनों देशों के सीमा संबंधों समेत अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे.
भारतीय विदेश सचिव की यह यात्रा ऐसे समय पर हो रही है जहां अमेरिका एक तरफ म्यांमार पर सख्ती और पाबंदियां बढ़ा रहा है. वहीं चीन इसका फायदा उठा म्यांमार में अपनी पैठ बढ़ाने में लगा है. बीते दोनों ही चीन ने म्यांमार के साथ सीमा के लिए चीनी युआन को स्वीकार्य मुद्रा बनाने का समझौता किया है. इसके अलावा म्यांमार के फौजी शासन अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण भी आयोजित कर रहा है.
ज़ाहिर है म्यांमार में बढ़ती चीनी सक्रियता भारत के लिए चिंता का सबब है. म्यांमार के साथ भारत की 1600 किमी से अधिक की सीमा है. वहीं सीमा का यह अधिकांश इलाका सुरक्षा के लिहाज़ से संवेदनशील पूर्वोत्तर राज्यों से सटा है. इतना ही नहीं, म्यांमार में पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठनों को पनाह, मदद और रसद न मिले इसके लिए भारत कोशिश करता रहा है.
बता दें कि फौजी तख्ता पलट के पहले भारत की तरफ से म्यांमार को ढांचागत विस्तार ही नहीं सैनिक मजबूती के लिए भी मदद दी जा रही थी. इस कड़ी में भारत पड़ोसी म्यांमार को डीज़ल से चलने वाली किलो क्लास पनडुब्बी आईएनएस सिंधुवीर भी तोहफे में देने का ऐलान कर चुका हैं.
माना जा रहा है कि विदेश सचिव की यात्रा के साथ भारत और म्यांमार के रिश्तों में फौजी तख्तापलट के बाद बीते कुछ महीनों में आई संवाद की सुस्ती को भी दूर करने की कोशिश होगी. भारत का प्रयास होगा कि म्यांमार के फौजी शासन के साथ कामकाजी तौर पर रिश्ता बरकरार रखा जाए.