नई दिल्ली: चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने आ चुका है. एक तरफ वो सीमा से जुड़े मुद्दे को सुलझाने के लिए शांति की बात करता है तो वहीं दूसरी तरफ वो समझौतों का उल्लंघन और घुसपैठ की कोशिश से भी पीछे नहीं हटता है. चीन की विस्तारवादी नीति का पर्दाफाश हो चुका है. पिछले कुछ समय से भारत के साथ चीन का सीमा विवाद का मुद्दे  अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है. भारत का कई मुल्कों ने समर्थन किया और चीन के हरकत की निंदा की.


इस बीच एक जानकारी सामने आई है कि चीन से भारतीय सीमा के नजदीक बीते तीन सालों में अपने एयर बेस की संख्या को दोगुना कर लिया है. इसके साथ ही भारत की सीमा के नजदीक चीन के सैनिकों की तैनाती और हेलीपोर्ट्स की संख्या में भी इतना ही इजाफा हुआ है. एनडीटीवी ने स्ट्रेटफॉर नाम की एक ग्लोबल जियोपॉलिटक इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म की रिपोर्ट का विश्लेषण किया है जिसमें ये बात सामने आई है.


रिपोर्ट में सैटेलाइट तस्वीरों का विस्तृत विश्लेषण किया गया है जो ये दिखाता है कि चीन का मिलिट्री इंफ्रास्टक्चर भारत की सुरक्षा पर सीधा असर डालने वाला है. इस रिपोर्ट के लेखक सिम टाक कहते हैं, '' लद्दाख गतिरोध से पहले भारत के साथ सीमा पर चीनी सुविधाओं के निर्माण की टाइमिंग बताती है कि सीमा तनाव चीन द्वारा किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा हैं.” बता दें कि ये रिपोर्ट अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है.


इस रिपोर्ट की मानें तो चीन ने भारत की सीमा के नजदीक 13 नए मिलिट्री पोजिशंस का निर्माण शुरू कर दिया है. इसमें तीन एयरबेस, पांच परमानेंट डिफेंस पोजिशंस और पांच हेलीपोर्ट्स शामिल हैं. मई में मौजूदा लद्दाख संकट की शुरुआत के बाद ही इनमें से चार नए हेलीपोर्ट्स का निर्माण शुरू हुआ.


कुल मिलाकर ये बात साफ है कि चीन की कथनी और करनी में फर्क है. वो शांति की बात कर दुनिया की नजरों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहा है. हालांकि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत जारी है. सोमवार को ही दोनों देशों के बीच छठे दौर की सैन्य कमांडर लेवल की बैठक हुई है. लेकिन चीन की हरकतें उसके इरादों पर बड़ा प्रश्न चिह्न लगाती हैं.


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