17 बार राफेल को मार गिराया, चीन का दावा झूठा? भारतीय एक्सपर्ट का खुलासा, ड्रिल में हुआ खेल
भारतीय सेना के एक्सपर्ट ने कहा कि चीन का J-20 की भले ही पांचवीं जेनरेशन का स्टील्थ जेट बताकर मार्केटिंग की जा रही है, लेकिन यह साबित नहीं हो सका कि युद्ध के मैदान में यह लड़ सकता है.
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भारत के विध्वसंक विमान राफेल को 17 बार मार गिराने के चीन के दावे पर भारतीय वायु सेना के एक्सपर्ट ने खुलासा किया कि ड्रिल के नतीजों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि ड्रिल में खेल हुआ है. साल 2020 में चीन ने दावा किया था कि उसके J-20 स्टील्थ विमान ने सिमुलेशन ड्रिल के दौरान 17 बार राफेल को मार गिराया. इस पर एक्सपर्ट ने कहा कि ड्रिल में भले वो ऐसे दावे कर रहा है, लेकिन युद्ध के असली मैदान में ऐसा होना असंभव है.
यूरेशियन टाइम्स से बात करते हुए भारतीय वायु सेना के एक्सपर्ट ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि हो सकता है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी एयरफोर्स (PLAAF) ने अपने फाइटर जेट J-20 विमान को बेहतर दिखाने के लिए सिमुलेशन ड्रिल में कुछ खेल किया हो. जो वह कह रहा है वैसा युद्ध के मैदान में होना मुश्किल है.
एक्सपर्ट ने कहा, 'ऐसी सिमुलेशन ड्रिल पर भरोसा नहीं किया जा सकता और यह J-20 और राफेल की लड़ाई से बहुत ज्यादा अलग है. भले ही J-20 की पांचवी-जेनरेशन के स्टील्थ जेट के तौर पर मार्केटिंग की जा रही है, लेकिन अभी तक यह साबित नहीं हुआ है कि इसमें युद्ध में लड़ने की ताकत है, जो इसकी सबसे बड़ी खामी है. वहीं, फ्रांसिसी राफेल यह साबित कर चुका है.' पीएलए की पूर्वी कमान के तहत काम कर रहे वांग हाय एयर ग्रुप के चीनी पायलट ने यह दावा किया था कि 2020 में सिमुलेशन ड्रिल में J-20 ने राफेल को 17 बार मार गिराया. वांग हाय एयर ग्रुप पहला विंग है, जो J-20 का इस्तेमाल कर रहा है.
सिमुलेशन ड्रिल क्या होता है?
एयरक्राफ्ट की ताकत टेस्ट करने और युद्ध में जाने से पहले उसको वॉर के लिए तैयार करने के लिए सिमुलेशन ड्रिल की जाती हैं. इसमें युद्ध के मैदान जैसी स्थिति बनाई जाती हैं और दूसरे एयरक्राफ्ट और बाहरी चीजों जैसे हवा, बादल, विक्षोभ का उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा, एयरक्राफ्ट में क्या खामियां हैं वह चेक किया जाता है. इसके तहत, पायलट को एयक्राफ्ट हैंडल करने और इसे नियंत्रण करने के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि, कई एक्सपर्ट्स सिमुलेशन ड्रिल को अच्छा नहीं समझते हैं, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह जरूरी है और इस तरह युद्ध में जाए बिना ही एयरक्राफ्ट को वॉर के लिए तैयार किया जा सकता है और उन्हें युद्ध के मैदान में उतारने के लिए मजबूत किया जा सकता है.
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